#NewsBytesExplainer: पन्नू की हत्या की कथित साजिश का भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या असर हो सकता है?
खालिस्तान समर्थक और सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश को लेकर भारत और अमेरिका आमने-सामने हैं। अमेरिका ने इस साजिश में कथित तौर पर शामिल एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को गिरफ्तार किया है। अमेरिका ने एक भारतीय अधिकारी पर भी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है। आइए समझते हैं कि इस विवाद का दोनों देशों के संबंधों पर क्या असर हो सकता है।
सबसे पहले जानिए क्या है मामला
22 नवंबर को एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अमेरिका ने सिख अलगाववादी पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम किया है। कथित तौर पर ये साजिश भारत द्वारा रची गई थी। 30 नवंबर को अमेरिका ने इस मामले में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की। अमेरिका ने कहा कि जांच के दौरान साजिश में भारत के एक सरकारी अधिकारी की संलिप्तता के बारे में भी पता चला, जिसका नाम नहीं बताया गया।
मामले पर अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया रही है?
भारत की तरह ही अमेरिका इस मामले को बेहद संवेदनशीलता से संभाल रहा है। कनाडा की तरह अमेरिका ने सीधे आरोप नहीं लगाए, बल्कि आधिकारिक प्रतिक्रिया दर्ज कराई। मामले में जुलाई में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल से मुलाकात की थी। इसके बाद केंद्रीय खूफिया एजेंसी (CIA) के निदेशक विलियम बर्न्स भारत आए और शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की। अमेरिका ने साजिश में शामिल भारतीय अधिकारी का नाम भी सार्वजनिक नहीं किया है।
मामले पर कैसा है भारत का रुख?
अमेरिका के आरोपों पर भारत का रुख कनाडा वाले मामले से बिल्कुल अलग है। विदेश मंत्रालय ने कई बयानों में कहा है कि ये मामला गंभीर है और भारत की नीतियों के विपरीत है। विशेषज्ञ भारत के इस रुख को बेहद संयमित मान रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि सरकार इस मामले के कारण दोनों देशों के संबंधों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती और इसे पूर्ण राजनयिक संकट नहीं बनने देना चाहती।
क्या खराब होंगे दोनों देशों के संबंध?
ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि मामला गंभीर है, लेकिन इससे दोनों देशों के संबंधों पर ज्यादा असर नहीं होगा। पिछले कुछ सालों में भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी बढ़ी है। हाल ही में दोनों देशों के बीच 5वीं 2+2 वार्ता भी हुई थी, जिसमें दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों ने हिस्सा लिया था। इसमें कई अहम फैसले लिए गए। G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी कई अहम समझौते हुए थे।
विशेषज्ञों का क्या कहना है?
जर्मन मीडिया हाउस DW से बात करते हुए विदेश नीति विशेषज्ञ सी राजामोहन ने कहा, "इस मामले से वॉशिंगटन और नई दिल्ली के बीच कोई कूटनीतिक दरार पैदा होती नहीं दिख रही है। कथित घटना जून में हुई थी और पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के सुरक्षा प्रतिष्ठानों और राजनीतिक नेतृत्व के बीच इस मुद्दे पर काफी बातचीत हो चुकी है।" पूर्व राजदूत अनिल वाधवा का भी मानना है कि इस मामले का प्रभाव सीमित होगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक, किसी देश में विदेशी एजेंसियों की ओर से की जाने वाली 'लक्षित हत्याओं' को संप्रभुता के खिलाफ माना जाता है। इस तरह की घटनाएं संयुक्त राष्ट्र (UN) के चार्टर के भी खिलाफ हैं, जिसमें सदस्य देशों के एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की बात कही गई है। हालांकि, ये बहस का विषय है और खुद अमेरिका अपनी सुरक्षा का हवाला देकर कई देशों में लक्षित हत्याएं कर चुका है।