#NewsBytesExplainer: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए सिखों का समर्थन इतना अहम क्यों है?
भारत-कनाडा के संबंध तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। कनाडा ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट्स की संलिप्तता का दावा किया है। दूसरी तरफ भारत सरकार ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर अपनी राजनीति के लिए खालिस्तानी नेताओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। आइए जानते हैं कि कनाडा की राजनीति में ट्रूडो के लिए सिख समुदाय का समर्थन इतना अहम क्यों है।
कनाडा में कितनी है सिख आबादी?
कनाडा की कुल आबादी में सिख 2.1 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। पिछले 20 सालों में कनाडा में सिखों की आबादी दोगुनी हुई है। यहां भारतीय मूल के करीब 24 लाख लोग हैं, जिनमें से 7.71 लाख के करीब सिख हैं। इस सिख आबादी में से 2.36 लाख लोग जन्म से कनाडाई नागरिक हैं। कनाडा की किसी भी पार्टी के लिए सिख आबादी एक महत्वपूर्ण वोटबैंक है। इसके अलावा यहां यहां की कुल आबादी में 2.3 प्रतिशत लोग हिंदू भी हैं।
कनाडा की राजनीति में सिख समुदाय इतना प्रभावी क्यों?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कनाडा के सिखों की एक खासियत ये है कि एक समुदाय के तौर पर वो एकजुट हैं। उनमें संगठनात्मक कौशल है और यहां गुरुद्वारों का एक बड़ा नेटवर्क है, जिसके जरिए अच्छी-खासा पैसा इकट्ठा होता है। वैनकुवर, टोरंटो और कलगैरी सहित पूरे कनाडा में गुरुद्वारों से मिलने वाला चंदा किसी भी कनाडाई राजनेता और पार्टी के लिए जरूरी है। यहां चुनाव में लिबरल पार्टी और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) को गुरुद्वारों से खूब चंदा मिलता है।
ट्रूडो के लिए क्यों जरूरी है सिख समुदाय?
2015 में 44 साल की उम्र में पहली बार प्रधानमंत्री बने ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने 2019 में समय से पहले चुनाव करवाए, लेकिन इसमें पार्टी को बहुमत नहीं मिला और उसकी 20 सीटें कम हो गईं। इन सीटों की भरपाई जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) को मिलीं 27 सीटों से की गई। जगमीत खालिस्तान समर्थक हैं और इसी कारण कहा जाता है कि ट्रूडो अपनी सरकार को बचाने के लिए खालिस्तानियों का तुष्टीकरण करते हैं।
ट्रूडो राज में कैसे बढ़ीं खालिस्तानियों की गतिविधियां?
इस साल कनाडा में भारत विरोधी और खालिस्तान का समर्थन करने वाली घटनाओं में इजाफा हुआ है। कनाडा में इंदिरा गांधी के हत्याकांड की झांकी निकाली गई, भारतीय दूतावास से तिरंगा उतारकर खालिस्तान का झंडा फहराया गया, हिंदू मंदिरों पर हमले किए गए, भारत विरोधी नारे लगाए गए और खालिस्तान को लेकर जनमत संग्रह भी करवाया गया। भारत ने इन गतिविधियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि कनाडा सरकार खालिस्तानियों के खिलाफ नरम रुख अपना रही है।
भारत ने ट्रूडो सरकार पर क्या आरोप लगाए हैं?
भारत सरकार ने ट्रूडो पर अपने राजनीतिक हितों के लिए खालिस्तानी नेताओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। सरकार ने दावा किया है कि कनाडा कम से कम 9 अलगाववादी संगठनों की पनाहगाह बना हुआ है। इसके अलावा सरकार ने कहा कि भारत विरोधी गतिविधियों में संप्लितता के पुख्ता सबूत और प्रत्यर्पण अनुरोधों के बावजूद भी आंतकवादियों और खालिस्तानी नेताओं के खिलाफ ट्रूडो सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
न्यूजबाइट्स प्लस
19 जून को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की वैंकूवर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने निज्जर हत्याकांड में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया है। इसके बाद कनाडा ने भारत के एक राजनियक को निष्कासित कर दिया, जिसके बाद भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में एक कनाडाई राजनयिक को देश छोड़ने के लिए कहा। एक कदम आगे बढ़कर भारत ने कनाडा में अपनी वीजा सेवाओं पर रोक भी लगा दी है।