#NewsBytesExplainer: इस साल देश में बढ़ी रेल दुर्घटनाएं, क्या कहते हैं आंकड़े?
क्या है खबर?
छठ पूजा से एक हफ्ते पहले यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेनों में एक के बाद एक आग लगने की 2 घटनाएं सामने आईं हैं।
इन दुर्घटनाओं में किसी भी यात्री के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन इन्होंने रेलवे की सुरक्षा की तरफ ध्यान आकर्षित किया है।
पिछले साल की तुलना में इस साल ट्रेनों के आपस में टकराने और आग लगने की घटनाओं में इजाफा हुआ है।
आइए ऐसी रेल दुर्घटनाओं पर विस्तार से एक नजर डालते हैं।
दुर्घटना
रेल दुर्घटनाओं को कैसे किया जाता है विभाजित?
न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, रेल दुर्घटनाओं को मोटे तौर पर परिणामी और गैर-परिणामी में विभाजित किया जाता है।
इनमें लेवल क्रॉसिंग पर टकराव, आग, पटरी से उतरना आदि को परिणामी माना जाता है, जिसमें मानव जीवन की हानि या चोट, रेलवे संपत्ति को नुकसान और रेल यातायात में रुकावट के गंभीर परिणाम होते हैं।
गैर-परिणामी उन दुर्घटनाओं को कहा जाता है, जिनमें जानमाल का नुकसान नहीं होता है और इनसे रेल यातायात पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
आंकड़े
परिणामी दुर्घटनाओं को लेकर क्या कहते हैं आंकड़े?
रेल मंत्रालय के इस साल सितंबर तक के आंकड़ों से पता चलता है कि अब तक आग लगने की 5 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो 2022-23 की पहली छमाही में दर्ज किए गए मामलों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।
इसी तरह पिछले साल पहली 2 तिमाहियों में हुई 3 टक्करों के मुकाबले इस साल ऐसे 4 मामले सामने आए हैं। कुल मिलाकर इस साल अप्रैल और सितंबर के बीच 20 परिणामी ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं हैं।
आंकड़े
क्या परिणामी दुर्घटनाओं में हो रही है वृद्धि?
साल 2020-21 में परिणामी दुर्घटनाओं में भारी गिरावट देखी गई क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देशव्यापी तालाबंदी के बीच केवल विशेष ट्रेनें ही चालू थीं।
आंकड़ों के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद से परिणामी घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। इसमें पता चला है कि 2021-22 में 34 और 2022-23 में 48 परिणामी दुर्घटनाएं दर्ज की गईं।
इसका मतलब है कि इन 2 सालों में प्रतिमाह औसतन कम से कम 3 परिणामी दुर्घटनाएं घटित हुई हैं।
दुर्घटना
सिग्नल और ओवरहेड उपकरण विफलता के क्या हैं आंकड़े?
आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में सिग्नल विफलता और ओवरहेड उपकरण (OHE) की घटनाएं कम दर्ज हुई है, लेकिन पिछले साल की तुलना में इनमें भी वृद्धि हुई है।
इस वित्तीय वर्ष की पहली 2 तिमाहियों में सिग्नल फेल होने की 34,417 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 29,023 थी।
इसी तरह इस साल ओवर हेड विफलता की 1,049 घटनाएं हुई हैं, जबकि पिछले साल ऐसी 1,028 घटनाएं हुई थी।
आंकड़ों
इन आकंड़ों पर रेल मंत्रालय ने क्या कहा?
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक यात्री महत्वपूर्ण है और वे हमेशा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं।
उन्होंने कहा, "देश में मौजूद बड़े रेल नेटवर्क और कामकाज की तुलना में ये दुर्घटनाएं न के बराबर हैं। मशीनों में खराबी आने का खतरा रहता है और ये खराबियां आती भी हैं।"
उन्होंने कहा, "हर दिन हजारों ट्रेनों का संचालन होता है और इसलिए ओवर हेड उपकरण विफलता की घटनाएं भी अधिक हैं।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
इसी साल 2 जून को ओडिशा के बालासोर में सिग्नल उपकरण में खराबी के कारण एक के बाद एक 3 ट्रेनें हादसे का शिकार हो गई थीं। इस दुर्घटना में 297 लोगों की मौत हो गई थी और 1,000 से ज्यादा घायल हुए थे।
इस हादसे की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कर रही है, जिसने 3 रेलवे कर्मचारियों को गिरफ्तार भी किया है।
यह हालिया सालों का रेलवे का सबसे बड़ा हादसा था।