विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले ही बंगाल में क्यों हो रही अर्धसैनिक बलों की तैनाती?
पश्चिम बंगाल में अभी तक विधानसभा चुनावों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अगले दो-तीन दिनों में यहां अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां पहुंचनी शुरू हो जाएंगी। बताया जा रहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 25 फरवरी तक यहां अर्धसैनिक बलों की कम से कम 125 टुकड़ी पहुंच जाएंगी। हर टुकड़ी में 80-100 जवान होंगे। आइये, जानते हैं कि चुनावों की घोषणा से पहले यह तैनाती क्यों हो रही है।
राज्य में चरम पर है हिंसा
पश्चिम बंगाल में मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य की 294 विधानसभा सीटों पर मुख्य टक्कर तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भाजपा के बीच मानी जा रही है। चुनावों की आहट के चलते बीते कुछ दिनों से राज्य में राजनीतिक हिंसा से जुड़ी कई घटनाएं हो चुकी हैं। पश्चिम बंगाल दौरे पर गए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की काफिले पर भी हमला हो चुका है। हाल ही में राज्य सरकार में मंत्री पर बम से हमला हुआ था।
तैनाती ने राज्य सरकार को चौंकाया
इंडियन एक्सप्रेस ने चुनाव आयोग के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 60, सशस्त्र सीमा बल (SSB) की 30, सीमा सुरक्षा बल (BSF) की 25, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और भारत तिब्बत पुलिस बल (ITBP) की पांच-पांच टुकड़ियों को पश्चिम बंगाल भेजा जाएगा। इन टुकड़ियों पर आने वाला खर्च राज्य सरकार को वहन करना होगा। हालांकि, चुनावों की घोषणा से पहले अर्धसैनिक बलों की तैनाती ने राज्य सरकार को चौंका दिया है।
हर जिले में होगी अर्धसैनिक बलों की तैनाती
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राज्य सरकार को इनकी तैनाती की योजना भेज दी है। चुनाव आयोग की तरफ से राज्य सरकार को सभी जिलों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती के आदेश दिए गए हैं।
क्या ऐसी तैनाती पहली बार हो रही है?
चुनावों की घोषणा से पहले इतने बड़े स्तर पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती को कुछ लोग असामान्य मान रहे हैं। अभी तक चुनावों की घोषणा होने के बाद राज्यों में अर्धसैनिक बलों को भेजा जाता रहा है। अगर पश्चिम बंगाल की ही बात करें तो 2016 में चुनावी कार्यक्रम के ऐलान के बाद लगभग 30 टुकड़ियों को राज्य में भेजा गया था। इसी तरह 2019 में लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद 40 टुकड़ियां भेजी गई थी।
इस तैनाती का मतलब क्या है?
इस बार मामला इसलिए अलग है क्योंकि चुनावी कार्यक्रम की घोषणा होना बाकी है। इसका मतलब यह हो सकता है कि चुनाव आयोग राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर संतुष्ट नहीं है या फिर वह राज्य सरकार को एक कड़ा संदेश देना चाहता है। एक मतलब यह भी हो सकता है कि आयोग प्रशासन की निष्पक्षता को लेकर सुनिश्चित नहीं है। ऐसा भी माना जा रहा है कि चुनाव आयोग सुरक्षा को लेकर कोई ढील नहीं बरतना चाहता।
बंगाल पर खास ध्यान
सूत्रों ने बताया कि इस तरह की तैनाती के साथ चुनाव आयोग ने साफ संकेत दे दिए है कि वह चुनावों से पहले ही बंगाल पर खास ध्यान दे रहा है। वहीं आने वाले महीनों में चुनावों में जाने वाले तमिलनाडु, केरल आदि राज्यों में ऐसी तैनाती नहीं हुई है। बता दें कि आमतौर पर आयोग की तरफ से राज्यों में एरिया डॉमिनेशन और स्थानीय लोगों में भरोसा बनाने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाता है।