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CRPF में होगा बड़ा बदलाव, दूसरे बलों में भेजे जाएंगे 45 साल से ज्यादा के जवान

CRPF में होगा बड़ा बदलाव, दूसरे बलों में भेजे जाएंगे 45 साल से ज्यादा के जवान

Dec 10, 2019
11:14 am

क्या है खबर?

देश के अर्धसैनिक बलों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। दरअसल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) अपने उम्रदराज जवानों को दूसरे अर्धसैनिक बलों में भेजने का विचार कर रहा है। CRPF यह कदम इसलिए उठा रहा है ताकि उसके जवानों की औसत उम्र कम हो और वो जवान लड़ाकों वाला बल बना रहे। गौरतलब है कि CRPF देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है और इसके कुल जवानों की संख्या 3.25 लाख है।

विचार

अमित शाह ने दिया था यह विचार

CRPF चाहता है कि उसके जवानों की उम्र सीमा 45 साल हो और इससे अधिक उम्र के जवानों को दूसरे अर्धसैनिक बलों में भेजा जाएगा। इसे लेकर जल्द ही गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा। पिछले महीने अमित शाह ने CRPF की समीक्षा बैठक बुलाई थी। इस बैठक में शाह ने इस अर्धसैनिक बल को 'जवान और स्वस्थ' रखने का विचार दिया था। गौरतलब है कि CRPF की तैनाती कश्मीर और नक्सल प्रभावित इलाकों में हैं।

ड्यूटी

CRPF के अधिकतर जवानों की फील्ड ड्यूटी

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, CRPF का कहना है कि उसके 90 फीसदी से अधिक जवानों की फील्ड में ड्यूटी होती है। ऐसे में अस्वस्थ या उम्रदराज जवानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जिससे पूरे बल पर असर पड़ता है। CRPF के केवल 10 फीसदी जवान ही ऐसे हैं जिनकी VVIP सुरक्षा या अयोध्या जैसे संवेदनशील जगहों की सुरक्षा में स्थायी ड्यूटी रहती है। यह बाकी सभी अर्धसैनिक बलों में सबसे कम है।

कमेटी

खाका तैयार करने के लिए CRPF ने बनाई छह सदस्यीय कमेटी

CRPF ने छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो जवानों की उम्र सीमा तय करने और तय उम्र से अधिक के जवानों को दूसरे बलों में भेजने की योजना का खाका तैयार करेगी। दूसरे बलों के तौर सीमा सशस्त्र बल और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के नाम पर विचार किया जा रहा है। यह कमेटी इस पर भी विचार करेगी कि क्या 35 साल से अधिक जवानों को मेडिकल, परिवहन और प्राशसनिक काम सौंपे जा सकते हैं।

विरोध

CRPF के प्रस्ताव के विरोध में दूसरे अर्धसैनिक बल

कयास लगाए जा रहे हैं कि दूसरे अर्धसैनिक बल CRPF के इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे। इस संबंध में वो गृह मंत्रालय को पत्र लिखने की भी योजना बना रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि SSB और CISF का कहना कि CRPF को दूसरे बलों पर बोझ बढ़ाने की बजाय किसी दूसरी योजना पर काम करना चाहिए। इनका कहना है कि हर बल की अपनी चुनौतियां होती हैं और वो CRPF के इस प्रस्ताव का विरोध करते हैं।