जम्मू-कश्मीर से अर्धसैनिक बलों की वापसी शुरू, असम में हो रही तैनाती
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अर्धसैनिक बलों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। कहा जा रहा है कि घाटी में स्थिति सुधरने के बाद यह कदम उठाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 10 टुकड़ियों को असम भेजा गया है। इनके अलावा 20 अन्य टुकड़ियो को जल्द ही जम्मू-कश्मीर से असम में तैनात किया जाएगा।
जवानों को असम भेजने के लिए विशेष ट्रेन का इंतजाम किया गया है।
जम्मू-कश्मीर में तैनाती
अगस्त में बड़ी मात्रा में जम्मू-कश्मीर भेजे गए थे अर्धसैनिक बल
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्ज समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था।
इस फैसले के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों की संभावना की देखते हुए केंद्र सरकार ने भारी मात्रा में जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया था।
अगस्त की शुरुआत से ही कश्मीर के कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई थी। कई जगहों पर अब भी प्रतिबंध जारी है।
जानकारी
असम में कानून-व्यवस्था संभालेंगे अर्धसैनिक बल
ANI के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने सात कंपनियों को मणिपुर में तैनात करने का आदेश रद्द करते हुए इन्हें कानून-व्यवस्था संभालने के लिए असम भेजने का फैसला किया है। असम में इन दिनों नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
विधेयक
क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक?
नागरिकता (संशोधन) बिल के जरिए नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन किया जाएगा।
इससे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ होगा।
इस विधेयक के विरोध में कहा जा रहा है कि यह मुस्लिमों से भेदभाव करता है इसलिए संविधान के खिलाफ है। वहीं भाजपा का कहना है कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ नहीं है।
विरोध
असम में इस विधेयक का विरोध क्यों हो रहा है?
राजनीतिक पार्टियों के साथ पूर्वोत्तर के कई राज्यों, खासकर असम के लोग इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) और 30 अन्य संगठनों ने बिल के विरोध में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।
असम के लोग घुसपैठ की समस्या को धर्म के नजरिए से नहीं देखते और उन्हें बांग्लादेश से आए सभी धर्म के लोगों से समान दिक्कत है।
विरोधियों का कहना है कि ये बिल 1985 के असम समझौते को अमान्य करेगा।