अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया नागरिकता (संशोधन) बिल, जानें कौन-कौन विरोध में
गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) बिल पेश किया। ये बिल काफी विवादों में हैं और कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने इसका विरोध करने का फैसला किया है। बिल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में राजनीतिक अत्याचार का सामना करने वाले अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। मुस्लिमों को इसके दायरे से बाहर रखने के कारण इस पर सवाल उठ रहे हैं।
कांग्रेस की घोषणा, बिल का करेगी पुरजोर विरोध
केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले हफ्ते ही नागरिकता (संशोधन) बिल को मंजूरी दी थी। इसके बाद कांग्रेस ने बिल का संसद में पुरजोर विरोध करने का फैसला लिया। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की महत्वपूर्ण बैठक के बाद लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "कांग्रेस नागरिकता संशोधन बिल का संसद में पुरजोर विरोध करेगी क्योंकि ये देश के संविधान, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों, परंपरा, संस्कृति और सभ्यता के खिलाफ है।"
CPI(M) रखेगी बिल में दो संशोधनों का प्रस्ताव
वहीं CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी ने उनकी पार्टी के बिल में दो संशोधनों का प्रस्ताव लोकसभा में रखने की घोषणा की है। उन्होंने कहा, "हम ऐसे नागरिकता संशोधन बिल का कड़ा विरोध करते हैं जो धर्म के आधार पर नागरिकता देता है और वो भी तीन देशों के लोगों को।" उन्होंने कहा कि भारत सभी धर्म के लोगों का घर है और सभी धर्म के लोगों के साथ समान बर्ताव किया जाना चाहिए।
सहयोगियों के विरोध से हो सकती है भाजपा को समस्या
इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां भी बिल के विरोध में हैं। मोदी सरकार को असली समस्या जनता दल (यूनाइटेड) जैसे अपने कुछ सहयोगियों के बिल का विरोध करने से हो सकती है।
पूर्वोत्तर राज्यों में हो रहा बिल का जमकर विरोध
राजनीतिक पार्टियों के अलावा असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों के लोग भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं। यहां लोग घुसपैठ की समस्या को धर्म के नजरिए से नहीं देखते और उन्हें बांग्लादेश से आए सभी धर्म के लोगों से समान दिक्कत है। विरोधियों का कहना है कि ये बिल 1985 के असम समझौते को अमान्य करेगा, जिसमें 1971 के बाद असम में आने वाले किसी भी धर्म के विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की बात कही गई है।
प्रदर्शनकारियों ने किया भाजपा के सहयोगी के कार्यालय पर हमला
असम में ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) और 30 अन्य संगठनों ने बिल के विरोध में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। 16 संगठनों ने 10 दिसंबर को राज्य में 12 घंटे का बंद बुलाया है। इस बीच रविवार को प्रदर्शनकारियों ने डिब्रूगढ़ में भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद के कार्यालय पर हमला किया। लोगों के विरोध को देखते हुए पूर्वोत्तर के भाजपा के कुछ सहयोगी भी बिल का विरोध कर सकते हैं।
नागरिकता कानून में ये संशोधन करेगा बिल
नागरिकता (संशोधन) बिल के जरिए नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ होगा। इन धार्मिक शरणार्थियों को छह साल भारत में रहने के बाद ही भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। अभी भारत की नागरिकता हासिल करने से पहले 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है।
क्या है बिल के विरोध पर भाजपा की प्रतिक्रिया?
बिल के विरोध पर भाजपा और केंद्र सरकार का कहना है कि इसका मुख्य लक्ष्य अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में अत्याचार का सामना कर रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों को शरण प्रदान करना है। भाजपा के अनुसार, चूंकि इन देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक है इसलिए उन्हें बिल के दायरे से बाहर रखा गया है। बिल को घुसपैठियों और धार्मिक शरणार्थियों में फर्क करने का जरिया भी बताया जा रहा है।