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#NewsBytesExplainer: NATO ने भारत पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी, क्या होगा असर?
NATO ने भारत पर टैरिफ लगाने की धमकी दी है

#NewsBytesExplainer: NATO ने भारत पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी, क्या होगा असर?

लेखन आबिद खान
Jul 16, 2025
02:20 pm

क्या है खबर?

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने भारत, चीन और ब्राजील पर 100 प्रतिशत द्वितीयक टैरिफ लगाने की धमकी दी है। नाटो महासचिव मार्क रूट ने कहा कि अगर आप चीन के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो यह समझें कि रूस के साथ व्यापार जारी रखने का भारी नुकसान हो सकता है। इससे भारत पर व्यापक असर पड़ सकता है, क्योंकि भारत के रूस से अहम व्यापारिक संबंध हैं। जानें इसका क्या असर हो सकता है।

बयान

सबसे पहले जानिए NATO ने भारत को क्या धमकी दी?

रूट ने कहा, "यदि आप चीन के राष्ट्रपति हैं, भारत के प्रधानमंत्री हैं, या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, और आप रूस के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि यदि मास्को में बैठा व्यक्ति (व्लादिमीर पुतिन) शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं लेता है, तो मैं 100 प्रतिशत द्वितीयक टैरिफ लगा दूंगा। तीनों देशों को रूस के राष्ट्रपति पुतिन पर दबाव डालना चाहिए, ताकि वह शांति वार्ता को गंभीरता से लें।

टैरिफ

क्या होता है द्वितीयक टैरिफ?

द्वितीयक टैरिफ सीधे प्रतिबंधित देश पर नहीं, बल्कि उसके साथ व्यापार करने वाले देशों या कंपनियों पर लगाए जाते हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए। मान लें कि अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगा रखा है। अगर अब भारत रूस से तेल खरीदता है, तो अमेरिका भारत पर इसकी सजा के तौर पर द्वितीयक टैरिफ लगा सकता है। इसका उद्देश्य प्रतिबंधित देश को आर्थिक चोट पहुंचाना होता है, क्योंकि टैरिफ के डर से व्यापार से बचने लगते हैं।

भारत

NATO ने भारत का जिक्र क्यों किया?

भारत के रूस से अहम व्यापारिक और रक्षा संबंध हैं। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस पर पश्चिमी देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए। इसके बावजूद भारत ने रूस से व्यापार करना जारी रखा। भारत ने आधिकारिक तौर पर कहा कि वो अपने हितों को देखते हुए व्यापार करेगा, न कि किसी के दबाव में आकर। यही वजह है कि भारत चीन के साथ रूस के कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक बन गया है।

असर

भारत पर क्या होगा असर?

भारत रोजाना लगभग 1.6 से 1.7 मिलियन बैरल तेल आयात करता है, जिसका एक बड़ा हिस्सा रूस से आता है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस द्वारा दी जा रही भारी छूट के कारण भारत की रूसी तेल पर निर्भरता और बढ़ी है। प्रतिबंधों के कारण रूसी तेल की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इससे भारत को अन्य देशों से महंगा तेल खरीदना पड़ सकता है, जिससे तेल की कीमतें बढ़ेंगी।

नुकसान

भारत को ये नुकसान भी हो सकते हैं

रूस से आपूर्ति प्रभावित होने पर ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसका असर आम जनता पर महंगाई के तौर पर पड़ सकता है। अमेरिका भारतीय कंपनियों या बैंकों पर भी प्रतिबंध लगा सकता है, जिससे भारत का निर्यात और वित्तीय लेनदेन प्रभावित होगा। इसका संभावित असर भारत की विदेश नीति पर भी पड़ेगा। भारत को रूस और पश्चिम के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि अमेरिका और NATO भारत पर दबाव और बढ़ा सकते हैं।

अन्य देश

भारत के अलावा ये देश भी चिंतित

NATO की इस धमकी ने भारत के साथ कई और देशों की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) रूसी ऊर्जा लेनदेन के लिए एक वित्तीय माध्यम के रूप में कार्य करता है। NATO का सदस्य तुर्की बड़े पैमाने पर रूसी कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का आयात करता है। ब्राजील भी रूस से कई कृषि उत्पाद खरीदता है। इसके अलावा वियतनाम, थाइलैंड जैसे कई देशों पर भी असर पड़ना तय है।

NATO

क्या है NATO?

NATO अमेरिका और उसके सहयोगियों का एक सैन्य गठबंधन है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल, 1949 को एक संधि के जरिए इसका गठन किया गया था। अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) समेत कुल 12 देशों ने इसकी स्थापना की थी। अभी इसके सदस्यों की संख्या 32 है। NATO का सबसे प्रमुख प्रावधान ये है कि अगर कोई इनमें से किसी एक देश पर हमला करता है तो इसे सभी देशों पर हमला माना जाता है।