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भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में कथित तौर पर इस्तेमाल की ब्रह्मोस मिसाइल, जानें इनकी खासियत
ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक है

भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में कथित तौर पर इस्तेमाल की ब्रह्मोस मिसाइल, जानें इनकी खासियत

लेखन आबिद खान
May 11, 2025
04:21 pm

क्या है खबर?

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया है। खबर है कि इसमें भारत ने पाकिस्तानी ठिकानों पर हमला करने के लिए कथित तौर पर ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल किया। इन मिसाइलों ने रफीकी, मुरीद, नूर खान, रहीम यार खान, स्कर्दू, भोलारी, जैकोबाबाद, सरगोधा, सुक्कुर और चुनियन में पाकिस्तानी सैन्य अड्डों और एयरबेस को निशाना बनाया, जिनमें पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ। आइए ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में जानते हैं।

मिसाइल

रूस और भारत ने मिलकर बनाई है ब्रह्मोस

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया ने मिलकर बनाया है। दोनों देशों की साझेदारी के प्रतीक के तौ पर भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी को मिलाकर मिसाइल को ब्रह्मोस नाम दिया गया है। ब्रह्मोस की गिनती दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में होती है। इसे पनडुब्बी, युद्धपोत, लड़ाकू विमान और जमीन से दागा जा सकता है।

खासियत

क्या है ब्रह्मोस की खासियत?

ब्रह्मोस के अलग-अलग संस्करणों की रेंज अलग-अलग हैं। शुरुआत में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) के अनुपालन के लिए इसकी सीमा 290 किलोमीटर रखी गई थी। हालांकि, अब इसके कुछ संस्करण की रेंज 400 किलोमीटर तक है। यह ध्वनि की गति से ढाई गुना ज्यादा तेजी से उड़ान भर सकती है और इसे भारतीय सेना के तीनों अंग इस्तेमाल करते हैं। कम ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता और तेज गति के चलते इसका रडार द्वारा पकड़ा जाना काफी मुश्किल है।

लॉन्च

किन ऑपरेशनों को अंजाम दे सकती है ब्रह्मोस?

ब्रह्मोस एक बहुमुखी मिसाइल है, जो जमीन, समुद्र और हवा में स्थित लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। इनमें जमीन पर स्थित ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL), जहाज (वर्टिकल और इनक्लाइन्ड लॉन्चर), पनडुब्बी और लड़ाकू विमान शामिल हैं। भारत इन्हें सुखोई विमानों से लॉन्च करता है। हाल ही में भारतीय वायुसेना ने सुखोई विमान से 400 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस का सफल परीक्षण किया था। नौसेना ने INS त्रिकंद से भी इसका परीक्षण किया है।

तकनीक

इन आधुनिक तकनीक से लैस है ब्रह्मोस

ब्रह्मोस को 'सैल्वो' मोड के दौरान अलग-अलग दिशाओं में 2 सेकंड के अंतराल में लॉन्च किया जा सकता है। 8 मिसाइलों का समूह लक्ष्य को पूरी तरह नष्ट कर सकता है। इसमें फायर कंट्रोल सिस्टम, लॉन्चर और जहाज के नेविगेशन और सेंसर के साथ इंटर-कनेक्टिविटी सुविधा है। मिसाइल इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और होमिंग रडार सीकर से लैस है। ये एक मीटर जितने लक्ष्य पर सटीकता से हमला कर सकती है और अपने साथ 200-300 किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकती है।

इतिहास

क्या है ब्रह्मोस मिसाइल का इतिहास?

ब्रह्मोस बनाने के लिए 1995 में रूस और भारत ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस नामक संयुक्त उद्यम शुरू किया। इसमें भारत की 50.5 प्रतिशत और रूस की 49.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। 12 जून, 2001 को ओडिशा के चांदपुर में सतह से सतह पर वार करने वाली ब्रह्मोस का सफल परीक्षण हुआ। 2007 में ये थलसेना और 2013 में नौसेना में शामिल हुई। 2020 में वायुसेना ने सुखोई SU-30MKI से ब्रह्मोस के हवा से सतह में वार करने वाले संस्करण का परीक्षण किया।