
#NewsBytesExplainer: 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत ने कैसे दिखाई स्वदेशी हथियारों की ताकत?
क्या है खबर?
'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत ने सटीक हमले करते हुए पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। भारत ने पूरा ध्यान रखा कि कहीं भी नागरिक आबादी और ढांचों को नुकसान नहीं पहुंचे।
इसके बाद भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को पूरी तरह नाकाम कर दिया। इसमें भारत के स्वदेशी हथियारों और तकनीकों की अहम भूमिका रही।
आइए जानते हैं कैसे स्वदेशी तकनीकों ने सेना की मदद की।
सटीकता
भारत ने सटीकता से तबाह किए लक्ष्य
पूरे अभियान के दौरान भारत ने चुन-चुनकर केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। भारत के हथियार इतने सटीक थे कि 4-5 इमारतों के बीच मौजूद आतंकी ठिकानों पर जाकर ही गिरे।
इंडियन एक्सप्रेस से DRDO के एक पूर्व निदेशक ने कहा, "इस तरह की क्षमता DRDO, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अन्य संस्थानों में सालों की रिसर्च का परिणाम है। इस दौरान हमें असफलताओं और असफलताओं का सामना करना पड़ा है।"
हथियार
भारत ने कैसे हासिल की सटीकता?
पूर्व निदेशक ने कहा, "ब्रह्मोस मिसाइलों में अत्याधुनिक मार्गदर्शन प्रणाली है, जिन्हें सालों में विकसित किया गया है। कार्टोसैट, RISAT और EOS श्रृंखला के उपग्रह उपमहाद्वीप पर 24 घंटे नजर रखते हैं। इनमें से कुछ उपग्रह 25-30 सेंटीमीटर छोटी वस्तुओं की पहचान कर सकते हैं। NavIC 10-20 सेंटीमीटर तक सटीक रहता है। ये भारतीय हथियारों का सटीक निशाना लगाना संभव बनाती हैं। भारतीय वैज्ञानिक इन क्षमताओं को और बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।"
वायु रक्षा प्रणाली
भारत की वायु रक्षा प्रणाली में कौन-कौनसे स्वदेशी रडार शामिल हैं?
भारत की वायु रक्षा में कई स्वदेशी रडार शामिल हैं। इनमें राजेंद्र, रोहिणी 3D निगरानी रडार, 3D लो-लेवल लाइटवेट रडार और लो-लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार शामिल थे।
DRDO के एक वैज्ञानिक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "स्वदेशी रडार ने युद्ध के मैदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विरोधी ड्रोन और हवाई संपत्तियों की ट्रैकिंग इन अत्याधुनिक तकनीकों की वजह से ही संभव हो पाया है। DRDO में रडार तकनीक पर बहुत सारे शोध चल रहे हैं।"
हथियार
भारत की वायु रक्षा प्रणाली में कौन-कौनसे स्वदेशी हथियार हैं?
भारतीय वायु रक्षा प्रणाली में ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल, D4 ड्रोन-रोधी सिस्टम और समर प्रणाली शामिल है।
ध्वनि की गति से करीब 3 गुना तेजी से उड़ने वाली ब्रह्मोस को पनडुब्बी, जहाज, विमान और जमीन से दागा जा सकता है।
आकाश को भारत का 'आयरन डोम' भी कहा जाता है। ये 25 किलोमीटर की दूरी पर एक साथ 4 लक्ष्यों को निशाना बना सकता है।
पाकिस्तानी ड्रोन को तबाह करने के लिए समर प्रणाली का भी इस्तेमाल किया गया है।
निगरानी
हवा में निगरानी के लिए IACCS कमांड केंद्र
वायुसेना ने हवाई हमलों की निगरानी और इनसे निपटने के लिए एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) स्थापित की है। यह सभी हवाई और जमीनी सेंसर, हथियार प्रणालियों, रडार, कमांड और नियंत्रण केंद्रों से वायुसेना की सभी कमानों और कंट्रोल केंद्रों को जोड़ता है।
यह उपग्रहों, विमानों और जमीनी स्टेशनों के बीच विजुअल रूप में इमेजरी, डेटा और ध्वनि के संचार का रीयल टाइम डेटा उपलब्ध कराता है। इसके बाद लक्ष्य की पहचान कर उसे नष्ट किया जाता है।
बयान
प्रधानमंत्री ने की थी स्वदेशी हथियारों की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को राष्ट्र के नाम दिए अपने संबोधन में भी स्वदेशी हथियारों की तारीफ की थी।
उन्होंने कहा था, "ऑपरेशन सिंदूर ने नया आयाम जोड़ा है। हमने न्यू एज वारफेयर में श्रेष्ठता सिद्ध की है। इस दौरान हमारे मेड इन इंडिया हथियारों की प्रामाणिकता सिद्ध हुई। दुनिया देख रही है कि 21वीं सदी के वारफेयर में भारतीय रक्षा उपकरणों का समय आ गया है।"
रक्षा मंत्री ने भी भारतीय स्वदेशी हथियारों की तारीफ की थी।