
#NewsBytesExplainer: तालिबान-भारत की क्या बढ़ रही है नजदीकी, पाकिस्तान से तनाव के बीच कितना अहम अफगानिस्तान?
क्या है खबर?
पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के बीच नजदीकी बढ़ रही है।
15 मई को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से आधिकारिक तौर पर बात की है।
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आने के बाद यह पहला राजनीतिक स्तर का संपर्क और बातचीत है। इसे भारत-तालिबान के बीच नई शुरुआत जैसा माना जा रहा है।
आइए जानते हैं ये कितना अहम है।
बयान
जयशंकर ने बातचीत के बारे में क्या जानकारी दी?
जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के साथ बातचीत हुई। पहलगाम हमले की उनकी निंदा की मैं सराहना करता हूं। झूठी और निराधार रिपोर्टों के जरिए भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने के हाल के प्रयासों को उनकी दृढ़ अस्वीकृति का स्वागत किया। अफगान लोगों के साथ हमारी पारंपरिक मित्रता और उनकी विकास आवश्यकताओं के लिए निरंतर समर्थन को रेखांकित किया। सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर चर्चा की।'
अफगानिस्तान
वीजा, कैदियों की रिहाई और चाबहार बंदरगाह को लेकर हुई बात- अफगानिस्तान
तालिबान के विदेश मंत्रालय में सार्वजनिक संचार निदेशक हाफिज जिया अहमद ने कहा, 'मुत्तकी ने जयशंकर से अफगान नागरिकों को और अधिक वीजा प्रदान करने के लिए कहा। खासतौर पर चिकित्सा सहायता चाहने वालों को। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि द्विपक्षीय व्यापार, भारतीय जेलों में अफगान कैदियों की रिहाई और ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास पर चर्चा हुई। विदेश मंत्री मुत्तकी ने संबंधों को और मजबूत करने की आशा व्यक्त की।'
बातचीत
कैसे करीब आ रहे हैं भारत-तालिबान?
पिछले 5 महीने में भारत-तालिबान के बीच 3 से ज्यादा बार बातचीत हुई है।
पिछले साल भारतीय राजनयिक जेपी सिंह ने 2 बार अफगानिस्तान का दौरा किया था। मार्च में वे मुत्तकी और नवंबर में कार्यवाहक रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद से मिले थे।
इसी साल जनवरी में दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। तब भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री मुत्तकी से मिले थे।
ये उस समय भारत-तालिबान प्रशासन के बीच सबसे उच्चस्तरीय बातचीत थी।
पाकिस्तान
पाकिस्तान के नजरिए से भारत-तालिबान का नजदीक आना कितना अहम?
हालिया सालों में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। पिछले साल दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले भी किए थे, जिसमें कई लोगों की जान गई थी। तब भारत ने अफगानिस्तान पर पाकिस्तानी हमलों की निंदा की थी।
भारत इसे अफगानिस्तान के साथ संबंध सुधारने के मौके के तौर पर देख रहा है।
हाल ही में तालिबान सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी और मृतकों के प्रति शोक जताया था।
अहमियत
भारत के लिए कितना अहम है अफगानिस्तान?
तालिबान के आने से पहले भारत ने अफगानिस्तान में कई योजनाओं में लगभग 3 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था। अफगानिस्तान की नई संसद को भारत ने बनाया है। इसके अलावा कई बांधों और सड़कों का निर्माण भी कराया है।
अफगानिस्तान पाकिस्तान के साथ-साथ चीन के नजरिए से भी भारत के लिए अहम है। हालिया सालों में चीन ने अफगानिस्तान में कई परियोजनाओं में भारी निवेश किया है। उसकी नजर यहां के प्राकृतिक संसाधनों पर है।
समझौता
तालिबान सरकार से अहम समझौता कर सकती है सरकार- जानकार
जानकारों का मानना है कि तालिबान के साथ जुड़कर भारत पाकिस्तान को दूर रख रहा है।
पाकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत अजय बिसारिया के मुताबिक, तालिबान के साथ बातचीत कर भारत एक समझौता करने की उम्मीद कर रहा है, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अफगानिस्तान की धरती का उपयोग किसी भी भारत विरोधी गतिविधि के लिए नहीं किया जाएगा और बदले में भारत सीमित बातचीत और निरंतर मानवीय सहायता की अनुमति देगा।