
#NewsBytesExplainer: भारत और तुर्की के कैसे रहे हैं संबंध, दोनों देशों में कितना व्यापार होता है?
क्या है खबर?
भारत में तुर्की के बहिष्कार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसकी शुरुआत भारत के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान की मदद करने से हुई थी। तब पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ तुर्की के ड्रोन का इस्तेमाल किया था।
इसके बाद से ही तुर्की के सेब और मार्बल का विरोध हो रहा है। कुछ विश्वविद्यालयों ने तुर्की के विश्वविद्यालयों के साथ हुए समझौते रद्द कर दिए हैं।
आइए भारत-तुर्की के संबंधों की कहानी जानते हैं।
इतिहास
सबसे पहले जानिए भारत-तुर्की के संबंधों का इतिहास
भारत के तुर्की के साथ ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। 1948 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे।
इसके बाद से ही नेताओं और प्रतिनिधिमंडलों का आना-जाना लगा रहता है। 1960 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तुर्की की यात्रा की थी। ये किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली तुर्की यात्रा थी।
इसके बाद 1965 में उपराष्ट्रपति डॉक्टर जाकिर हुसैन तुर्की गए।
1986 में तुर्की के प्रधानमंत्री तुर्गुत ओजल ने भारत का दौरा किया।
समझौते
दोनों देशों के बीच हैं कई व्यापारिक और सांस्कृतिक समझौते
1973 में भारत और तुर्की के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
1983 में आर्थिक और तकनीकी सहयोग पर भारत-तुर्की संयुक्त आयोग (JCETC) की स्थापना को लेकर एक समझौता हुआ।
2021 में संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) और BOZAR के बीच एक समझौता हुआ था।
अंकारा विश्वविद्यालय में इंडोलॉजी विभाग है। 1998 में इस विभाग में ICCR हिंदी चेयर की स्थापना की गई थी।
व्यापार
दोनों देशों के बीच कितना व्यापार होता है?
वित्त वर्ष 2023-24 में तुर्की के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 89,000 करोड़ रुपये था। तब तुर्की भारत का 28वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।
इस दौरान भारत ने तुर्की को 56,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया था और करीब 32,000 करोड़ रुपये का आयात किया था।
अप्रैल, 2000 से दिसंबर, 2023 तक तुर्की से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 1,900 करोड़ रुपये थे। इसी दौरान तुर्की में कुल भारतीय निवेश करीब 1,300 करोड़ रुपये था।
सामान
दोनों देश किन-किन वस्तुओं का व्यापार करते हैं?
भारत द्वारा तुर्की को निर्यात किए जाने वाले मुख्य सामानों में खनिज तेल, मशीनरी/यांत्रिक उपकरण, इस्पात, मानव निर्मित रेशा, प्लास्टिक, कार्बनिक रसायन, रंग, मानव निर्मित फाइबर, कपास वगैरह शामिल हैं।
वहीं, तुर्की द्वारा भारत को किए जाने वाले प्रमुख निर्यातों में मशीनरी, निर्माण सामग्री जैसे पत्थर, प्लास्टरिंग सामग्री, लोहा और इस्पात, तिलहन, धातु अयस्क, परमाणु रिएक्टर, अंतरिक्ष यानों से संबंधित सामग्री, अकार्बनिक रसायन, कीमती पत्थर और सेब आदि शामिल हैं।
तनाव
संबंध ऐतिहासिक, लेकिन कमजोर
भारत और तुर्की के संबंध भले ही ऐतिहासक रहे हों, लेकिन दोनों कभी भी करीबी साझेदार नहीं बन पाए। इसकी सबसे बड़ी वजह कश्मीर को लेकर तुर्की का रुख माना जाता है। एक दूसरी वजह शीत युद्ध के दौरान तुर्की का अमेरिका खेमे में जाना भी माना जाता है।
कश्मीर के मामले में तुर्की ने हमेशा पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिया है।
1965 और 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी तुर्की ने पाकिस्तान की काफी मदद की थी।
विरोध
भारत में कैसे हो रहा है तुर्की का विरोध?
भारत के सेब और मार्बल व्यापारियों ने तुर्की से सामान का आयात करना बंद कर दिया है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने तुर्की के विश्वविद्यालयों के साथ हुए करार खत्म कर दिए हैं।
सरकार ने तुर्की की कंपनी सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है। ये कंपनी भारत के 9 हवाई अड्डों पर ग्राउंड ऑपरेशन संचालित करती है।
खबर है कि सरकार तुर्की के साथ हुए समझौतों और परियोजनाओं की समीक्षा कर रही है।