#NewsBytesExplainer: केरल और कर्नाटक के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के खिलाफ सड़क पर क्यों उतरे?
क्या है खबर?
दिल्ली के जंतर-मंतर पर अक्सर विरोध-प्रदर्शन देखने को मिलते रहते हैं, लेकिन इस बार एक खास विरोध प्रदर्शन के कारण यह काफी चर्चा में है।
दरअसल, आज यहां कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और गुरुवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन प्रदर्शन करेंगे। तमिलनाडु ने भी प्रदर्शनों का समर्थन किया है।
इन राज्यों का आरोप है कि वह केंद्र के 'वित्तीय अन्याय' का शिकार हैं।
आइए पूरा मामला जानते हैं और क्यों दक्षिणी राज्य केंद्र के खिलाफ एकजुट हुए।
प्रदर्शन
दक्षिण के 5 राज्यों में से 3 राज्य केंद्र के खिलाफ कर रहे प्रदर्शन
आज सिद्धारमैया पूरे कर्नाटक मंत्रिमंडल, अपने विधायकों और पार्षदों के साथ जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं।
केरल के मुख्यमंत्री गुरुवार को लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के पूरे मंत्रिमंडल के साथ प्रदर्शन करेंगे।
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने कहा कि वह भी विरोध-प्रदर्शन में शामिल होगी। राज्य में केंद्र के दफ्तरों के बाहर पहले से ही प्रदर्शन हो रहे हैं।
सोशल मीडिया पर 'माई टैक्स, माई राइट' यानी मेरा टैक्स मेरा अधिकार' जैसी मुहिम भी चल रही है।
मांग
कर्नाटक सरकार क्यों कर रही विरोध?
कर्नाटक केंद्र सरकार द्वारा धन आवंटित करने में असमानता का विरोध कर रही है।
सिद्धारमैया के अनुसार, 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद कर्नाटक को मिलने वाला केंद्रीय वित्तीय आवंटन 4.71 प्रतिशत से घटकर 3.64 प्रतिशत पर आ गया। इससे राज्य को 62,098 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
राज्य सरकार का दावा है कि उसने उत्तरी राज्यों की तुलना में पहले 42 और फिर बाद के कार्यकाल में 41 प्रतिशत टैक्स दिया था।
नुकसान
कर्नाटक को कितने राजस्व का हुआ नुकसान?
सिद्धारमैया का दावा है कि केंद्र के 'वित्तीय अन्याय' के कारण साल 2017-18 के बाद से अब तक कर्नाटक सरकार को 1.87 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।
62,098 करोड़ रुपये के अलावा वस्तु एवं सेवा कर (GST) कार्यान्वयन के कारण 59,274 करोड़ रुपये, सेस और सरचार्ज में राज्य की हिस्सेदारी देने से इनकार के कारण 55,000 करोड़ रुपये और अन्य वजहों से 11,495 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
अन्य कारण
तमिलनाडु को मिल रहे 20,000 करोड़ रुपये कम- स्टालिन
सिद्धारमैया के अनुसार, अपर भद्रा सिंचाई परियोजना के लिए 2022-23 के केंद्रीय बजट में 5,300 करोड़ रुपये देने का वादा भी कागजों पर ही रह गया है।
दूसरी तरफ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विजयन को लिखी एक चिट्ठी में दावा कर कहा, "GST व्यवस्था लागू होने के बाद राज्यों को काफी कम पैसा मिल रहा है। तमिलनाडु को हर साल 20,000 करोड़ रुपये कम मिल रहे हैं।"
केरल
केरल सरकार क्यों कर रही विरोध?
केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने मामले पर विधानसभा में कहा था, "10वें वित्तीय आयोग के समय केरल को 3.87 प्रतिशत हिस्सा मिलता था, लेकिन 14वें वित्त आयोग में यह 2.5 प्रतिशत और 15वें वित्तीय आयोग में यह घटकर 1.925 प्रतिशत हो गया।"
उन्होंने कहा कि 100 रुपये में से केंद्र को 65 रुपये और राज्य को 35 रुपये मिलने चाहिए, लेकिन अभी राज्य को केवल 21 रुपये मिल रहे हैं और 79 रुपये केंद्र को जा रहे हैं।
केंद्र सरकार
केंद्र सरकार का इस मामले पर क्या रुख है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दक्षिणी राज्यों के साथ भेदभाव के आरोपों को राजनीतिक करार दिया है।
उन्होंने लोकसभा में कहा था, "राज्यों को बकाया ट्रांसफर वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार होता है और टैक्स राजस्व के आवंटन में मेरे पास कोई "स्वतंत्र अधिकार नहीं है।"
उन्होंने कहा कि GST खासकर राज्य GST भी राज्यों को 100 प्रतिशत हस्तांतरित कर दिया गया था और एकीकृत GST का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया गया।
वित्त आयोग
न्यूजबाइट्स प्लस
केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व का बंटवारा वित्त आयोग करता है। संविधान के अनुच्छेद 280 में राष्ट्रपति द्वारा वित्त आयोग के गठन का प्रावधान है।
22 नवंबर, 1951 को पहले वित्त आयोग का गठन हुआ था और अब तक 15 वित्त आयोगों का गठन हो चुका है।
राजस्व के बंटवारे के दौरान 'डिस्टेंस फॉर्मूला' का इस्तेमाल होता है। इसमें गरीब राज्यों और अमीर राज्यों के प्रति व्यक्ति आय और GDP के अंतर को देखकर राजस्व दिया जाता है।