कर्नाटक चुनाव: सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार, मुख्यमंत्री पद के लिए किसका पलड़ा भारी?
क्या है खबर?
कर्नाटक चुनाव के नतीजों में कांग्रेस बड़ी जीत की ओर है और पार्टी ने सरकार बनाने की कवायद भी शुरू कर दी है।
पार्टी ने सभी विधायकों को आज रात तक राजधानी बेंगलुरू पहुंचने को कहा है, जहां कल विधायक दल की बैठक बुलाई गई है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के नाम पर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
आइए जानते हैं कि दोनों में से किसका पलड़ा भारी है।
ऐलान
कांग्रेस ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के चेहरे का नहीं किया था ऐलान
हर चुनाव की तरह इस बार भी कांग्रेस ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया था। दोनों नेता मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं, इसलिए पार्टी जानती थी कि नाम का ऐलान करने से गुटबाजी बढ़ जाएगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हाईकमान मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला लेंगे।
सिद्धारमैया राहुल गांधी की पसंद बताए जाते हैं तो डीके शिवकुमार प्रियंका गांधी के करीबी हैं।
मजबूत
ये है सिद्धारमैया का मजबूत पक्ष
सिद्धारमैया मैसूर के सिद्धारमनहुंडी से आते हैं और 2013 से 2018 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं।
वे अपने कार्यकाल के दौरान गरीबों के लिए आर्थिक कल्याण योजनाओं के लिए जाने जाते हैं। 7 किलो चावल देने वाली अन्न भाग्य योजना, स्कूली छात्रों को दूध देने के लिए क्षीर भाग्य योजना, लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा और इंदिरा कैंटीन योजना इसमें प्रमुख हैं।
पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों के बीच भी सिद्धारमैया की लोकप्रियता ज्यादा मानी जाती है।
कमजोर
यहां कमजोर पड़ सकते हैं सिद्धारमैया
2018 के चुनावों में सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस 122 से 80 सीटों पर सिमट गई थी। तब वे खुद चुनावी अभियान को संभाल रहे थे।
पिछली सरकार के दौरान लिंगायत समुदाय से जुड़े कुछ फैसलों को लेकर भी सिद्धारमैया की आलोचना हुई थी। टीपू सुल्तान को लेकर टिप्पणी और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) नेताओं की रिहाई को लेकर भी सिद्धारमैया आलोचकों के निशाने पर थे।
2018 विधानसभा चुनावों में सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी सीट से हार भी गए थे।
शिवकुमार
ये है डीके शिवकुमार की मजबूती
डीके शिवकुमार सात बार विधायक रह चुके हैं। कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने अपने संगठनात्मक कौशल से कई मौकों पर पार्टी को संकट से बाहर निकाला है।
कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा के बाद शिवकुमार ने पार्टी आलाकमान की नजर में खास जगह बनाई है।
सिद्धारमैया जहां जनता दल से कांग्रेस में आए हैं, वहीं शिवकुमार कांग्रेस के वफादार माने जाते हैं। शिवकुमार सबसे अमीर राजनेताओं में से हैं और पार्टी के लिए धन जुटाते हैं।
कमजोरी
डीके शिवकुमार का कमजोर पक्ष
राज्य में कद और जनाधार के लिहाज से देखा जाए तो शिवकुमार सिद्धारमैया से पीछे हैं।
माना जाता है कि शिवकुमार ने विपक्षी पार्टियों में कई दुश्मन बना लिए हैं। अगर किसी कार्य के लिए अन्य पार्टियों की जरूरत पड़ती है तो विपक्षी पार्टियों के नेता शिवकुमार की बजाय सिद्धारमैया के साथ ज्यादा सहज रहेंगे।
शिवकुमार मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप में साल 2019 में जेल भी जा चुके हैं। इससे भाजपा के लिए उन्हें घेरना आसान होगा।
बाकी नाम
मुख्यमंत्री पद के लिए ये नाम भी चर्चा में
ये भी माना जा रहा है कि गुटबाजी से बचने के लिए कांग्रेस इन दोनों नेताओं से अलग किसी तीसरे चेहरे को भी मुख्यमंत्री बना सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम भी चर्चा में है। दलित समुदाय से होना भी खड़गे के पक्ष में एक बड़ी वजह है।
5 बार के विधायक जी परमेश्वर का नाम भी चर्चा में है। एक बयान में वे मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जता भी चुके हैं।
नतीजे
क्या रहे कर्नाटक चुनाव के नतीजे?
शाम 3 बजे तक कांग्रेस कर्नाटक की 224 सीटों में से 137 सीटों पर आगे चल रही है। वह इनमें से 41 सीटें जीत चुकी है।
भाजपा 18 सीटें जीत चुकी है और 44 सीटों पर आगे है। जनता दल (सेक्युलर) सात सीटें जीत चुकी है और 14 सीटों पर आगे है।
चार सीटों पर अन्य पार्टियों के उम्मीदवार आगे हैं।
बता दें कि राज्य में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 113 है।