#NewsBytesExplainer: क्या होती है प्राण प्रतिष्ठा और रामलला के लिए आज का दिन क्यों चुना गया?
अयोध्या में आज 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विधि-विधान और अनुष्ठान के बाद शुभ मुहूर्त में मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की। अब रामलला 'राघव' स्वरूप में साक्षात मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं और पूरी अयोध्या नगरी 'राममय' नजर आ रही है। आइए जानते हैं कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया क्या होती है और ये क्यों जरूरी है।
क्या होता है प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ?
प्राण शब्द का अर्थ 'जीवन शक्ति' और प्रतिष्ठा का अर्थ 'स्थापना' से है। प्राण प्रतिष्ठा हिंदू धर्म में एक अनुष्ठान है, जिसके जरिए मंदिर में किसी देवता की मूर्ति में जीवन (प्राण) डाला जाता है। इसमें शुभ मुहूर्त और मंत्रोचार के पाठ के बीच मूर्ति को पहली बार मंदिर में स्थापित किया जाता है। हिंदू धर्म में ये महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और इससे पहले किसी भी मूर्ति को पूजा योग्य नहीं माना जाता है।
प्राण प्रतिष्ठा के कितने चरण होते हैं?
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान कई चरण होते हैं, जिन्हें अधिवास कहा जाता है। अधिवास वह प्रक्रिया है, जिसमें मूर्ति को विभिन्न चीजों में डुबोया या रखा जाता है। इस प्रक्रिया के तहत सबसे पहले मूर्ति को पानी में रखा जाता है और फिर अनाज, फल, औषधि, केसर और घी में रखा जाता है। इसके बाद मूर्ति को स्नान आदि कराया जाता है। इन्हें गंधाधिवास, औषधिधिवास, केसराधिवास, घृतधिवास, धान्यधिवास, शर्कराधिवास, फलाधिवास, पुष्पाधिवास, मध्याधिवास और शैयाधिवास अनुष्ठान कहते हैं।
प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया में और क्या होता है?
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मूर्ति को गर्भगृह में रखकर सभी अनुष्ठान किए जाते हैं। भगवान की मूर्ति का मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर रखा जाता है और उनकी आंखें बंद रखी जाती हैं। मूर्ति को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनका श्रृंगार किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति को आइना दिखाया जाता है। माना जाता है कि भगवान की आंखों में इतना तेज होता है कि उसका तेज सिर्फ भगवान खुद की सहन कर सकते हैं।
आज क्यों हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा?
ज्योतिष गणना के अनुसार, 22 जनवरी यानी आज की तिथि और मुहूर्त अग्निबाण मृत्यु बाण, चोरवाण, नृपवाण और रोगवान से मुक्त और प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया के लिए सर्वश्रेष्ठ थी। अभिजीत मुहूर्त यानी दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड के बीच भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसी 84 सेकंड के अभिजीत मुहूर्त में अनुष्ठान और सभी धार्मिक क्रियाएं संपन्न हुईं। ये शुभ मुहूर्त काशी के पंडित गणेश्वर शास्त्री ने निकाला था।
मंदिर में कितनी बार की जानी चाहिए पूजा?
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं का पूजन दिन में 5 बार करना ज्यादा फलदायक माना जाता है। शास्त्रों में दिनभर में 5 बार पूजा करने का उल्लेख है और सुबह की पूजा 5 से 6 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में हो जानी चाहिए, जबकि शाम को सूर्यास्त से एक घंटे पहले या बाद का समय पूजा के लिए उत्तम माना गया है। इसके अलावा नियमित रूप से प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जानी चाहिए।
न्यूजबाइट्स प्लस
अयोध्या में 2020 में राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था। 67 एकड़ वाले परिसर में से 2 एकड़ जमीन पर नागर शैली में यह मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर की लंबाई 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और ऊंचाई 161 फुट है। इसमें कुल 392 खंभे और 46 गेट हैं और रामलला के गर्भगृह में सोने की परत लगे दरवाजे हैं। अभी मंदिर के संपूर्ण निर्माण में 2-3 साल लगेंगे और इसमें 1,100 करोड़ रुपये तक का खर्च आएगा।