कर्नाटक: सिद्धारमैया के लिंगायत समुदाय पर बयान के बाद गरमाई सियासत, जानें पूरा मामला
क्या है खबर?
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के लिंगायत समुदाय पर दिए एक बयान पर राज्य की सियासत गरमा गई है।
दरअसल, सिद्धारमैया ने कहा था कि राज्य में पहले से ही लिंगायत समुदाय का मुख्यमंत्री हैं और वह भ्रष्टाचार की जड़ है।
इस पर भाजपा ने कांग्रेस और सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए इसे पूरे लिंगायत समुदाय का अपमान बताया है। गौरतलब है कि कर्नाटक में 10 मई को मतदान होना है।
बयान
कर्नाटक में है भ्रष्टाचार की जड़ है लिंगायत मुख्यमंत्री- सिद्धारमैया
बता दें कि सिद्धारमैया से एक पत्रकार ने सवाल किया था कि क्या लिंगायत समुदाय के नेता को कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री बनना चाहिए।
इस पर सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की तरफ इशारा करते हुए कहा था, "कर्नाटक में पहले से ही लिंगायत मुख्यमंत्री है, लेकिन वह सारे भ्रष्टाचार की जड़ है।"
भाजपा ने सिद्धारमैया के इसी बयान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि उन्होंने कर्नाटक के पूरे लिंगायत समुदाय का अपमान किया है।
पलटवार
कर्नाटक की जनता सिद्धारमैया को सिखाएगी सबक- मुख्यमंत्री बोम्मई
मुख्यमंत्री बोम्मई ने सिद्धारमैया पर पलटवार करते हुए कहा था, "एक पूर्व मुख्यमंत्री का इस तरह का बयान देना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा है कि पूरा लिंगायत समुदाय भ्रष्ट है। ब्राह्मण समुदाय का पहले भी मजाक उपहास उड़ाया जाता था। इससे पहले जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने लिंगायत समुदाय को तोड़ने की कोशिश की थी।"
बोम्मई ने आगे कहा कि कर्नाटक की जनता कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सिद्धारमैया को सबक सिखाएगी।
सफाई
सिद्धारमैया ने अपने बयान पर दी सफाई
विवाद बढ़ने पर सिद्धारमैया ने सफाई देते हुए कहा कि भाजपा राजनीतिक फायदे के लिए उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है।
उन्होंने कहा, "मैंने सिर्फ मुख्यमंत्री बोम्मई को लेकर टिप्पणी की थी। मैंने सिर्फ इतना कहा कि बसवराज बोम्मई अकेले भ्रष्ट हैं। मैंने यह नहीं कहा कि लिंगायत समुदाय भ्रष्ट है। कर्नाटक में कई ईमानदार लिंगायत मुख्यमंत्री रहे हैं, जिनके लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है। भाजपा ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।"
प्रभाव
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का है बड़ा प्रभाव
भाजपा का परंपरागत वोटर माने जाने वाले लिंगायत समुदाय को कर्नाटक की राजनीति में बेहद प्रभावशाली माना जाता रहा है।
कर्नाटक में लिंगायत लोगों की आबादी करीब 18 प्रतिशत है और 110 विधानसभा सीटों पर इनका प्रभाव है। इसी वजह से चुनावी नजरिए से इस समुदाय की काफी अहमियत है।
वहीं राज्य के अब तक के 23 मुख्यमंत्रियों में से 10 मुख्यमंत्री इसी समुदाय के रहे हैं।
चुनाव
कर्नाटक में 10 मई को होगा मतदान
कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों पर 10 मई को एक ही चरण में मतदान होगा, वहीं 13 मई को नतीजे जारी किए जाएंगे।
उम्मीदवारों के नामाकंन दाखिल करने की आखिरी तारीख 20 अप्रैल है और 24 अप्रैल तक नामांकन वापस लिया जा सकता है।
2018 के चुनाव में भाजपा को 104, कांग्रेस को 80 और जनता दल सेक्युलर (JDS) को 37 सीटें मिली थीं।
बता दें कि राज्य में एक मनोनीत सीट को मिलाकर कुल 225 विधानसभा सीटें हैं।