
#NewsBytesExplainer: मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर विवाद क्यों?
क्या है खबर?
चुनाव आयोग को सोमवार देर शाम नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) के रूप में ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त के रूप में विवेक जोशी मिल गए, लेकिन इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी इन नियुक्तियों पर सवाल उठा रही है। राहुल ने इसे आधी रात का अपमानजनक निर्णय बताया और अपना असहमति नोट दिया है।
आखिर CEC की नियुक्ति पर क्यों विवाद हैं? आइए, जानते हैं पूरा मामला।
नियुक्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई थी बैठक
साउथ ब्लॉक कार्यालय में सोमवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय चुनाव आयुक्त चयन समिति की बैठक हुई।
बैठक में मोदी के अलावा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कैबिनेट सदस्य के रूप में गृह मंत्री अमित शाह उपस्थित थे।
बैठक के दौरान समिति के सामने CEC के लिए 5 नाम रखे गए थे, जिस पर राहुल ने आपत्ति जता दी और असमति नोट लगाकर चले गए।
बाद में 2:1 से ज्ञानेश कुमार को CEC चुना गया।
बैठक
पहली बार नए कानून के तहत हुई नियुक्ति
CEC ज्ञानेश की नियुक्ति को लेकर विवाद इसलिए भी खड़ा है क्योंकि यह पहली बार है, जब नियुक्ति मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के आधार पर की गई है।
यह वही कानून है, जिसे केंद्र सरकार ने पिछले साल संशोधित किया है।
नए कानून के तहत CEC की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर होगी, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा नामित कैबिनेट मंत्री सदस्य होंगे।
कानून
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बदला गया कानून
दरअसल, मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि CEC और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की समिति ही करेगी, जब तक इस संबंध में कोई नया कानून नहीं बनता।
इसके बाद केंद्र सरकार ने कोर्ट के आदेश के आधार पर 2023 में यह नया कानून बनाया और CJI की जगह कैबिनेट मंत्री को नियुक्त किया।
कैबिनेट मंत्री को 3 सदस्यीय समिति में शामिल करने पर विवाद खड़ा हो गया।
कानून
अब कैसे होता है CEC और चुनाव आयुक्तों का चयन?
केंद्र सरकार द्वारा दिसंबर 2023 में नया कानून लागू होने के बाद से कानून मंत्रालय संभावित CEC और चुनाव आयुक्तों के नाम की सूची 3 सदस्यीय चयन समिति को भेजता है।
चयन समिति इनमें से एक नाम का चुनाव अपने बहुमत से करती है। वह चाहे तो बाहर से भी नाम की सिफारिश कर सकती है। इसके बाद उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद नियुक्ति की अधिसूचना जारी की जाती है।
आपत्ति
कांग्रेस की क्या है आपत्ति?
नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का विरोध करने का सबसे बड़ा कारण केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया नया कानून है, जिसमें CJI की जगह अब कैबिनेट मंत्री शामिल हैं। कांग्रेस ने इसे पारदर्शिता के लिए खतरा बताया है।
कांग्रेस का कहना है कि जब नियुक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है और उस पर बुधवार 19 फरवरी को सुनवाई होने वाली है तो एक दिन पहले CEC की नियुक्ति का कोई मतलब नहीं है।
विरोध
राहुल ने आधी रात का अपमानजनक निर्णय बताया
राहुल ने CEC की नियुक्ति के बाद मंगलवार को चयन समिति को दिया अपनी असमति का नोट एक्स पर साझा किया है।
उन्होंने लिखा, 'प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा नए CEC का चयन करने का आधी रात को निर्णय लेना अपमानजनक और अशिष्टतापूर्ण है, जबकि समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है और इस पर 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है।'
जानकारी
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सबकी नजर
भले ही चयन समिति ने CEC की नियुक्ति को मंजूरी दे दी हो, लेकिन इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर 19 फरवरी को सुनवाई होनी है, जिस पर सबकी नजर है। कोर्ट ने अंतिम सुनवाई 12 फरवरी से टाल दी थी।
चुनाव
आगे होने वाले प्रमुख चुनाव
नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में तैनाती लेने वाले ज्ञानेश कुमार का कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक 65 वर्ष की उम्र तक रहेगा।
इस दौरान ज्ञानेश इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को संभालेंगे और अगले कुछ सालों में केरल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल का चुनाव होगा।
ज्ञानेश कुमार 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले सेवानिवृत्त हो जाएंगे। हालांकि, इससे पहले राष्ट्रपति चुनाव उनकी देखरेख में संपन्न होगा।