राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के चयन पर कांग्रेस असहमत, मौलिक रूप से दोषपूर्ण प्रक्रिया बताई
कांग्रेस ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के एक दिन बाद असहमति नोट जारी किया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नोट में अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया को मौलिक रूप से दोषपूर्ण बताया। उन्होंने नोट में कहा कि चयन समिति में उनकी राय को गंभीरता से नहीं लिया गया, वह इससे असहमत हैं।
राहुल और खड़गे ने क्या कहा?
दोनों ने बताया, "चयन समिति की बैठक बुधवार को हुई थी, लेकिन यह पहले से एक पूर्व-निर्धारित अभ्यास था। इसमें एक-दूसरे के परामर्श और आम सहमति की चली आ रही परंपरा को नजरअंदाज किया गया, जो ऐसे मामलों में जरूरी है। यह चयन समिति की विश्वसनीयता के लिए जरूरी निष्पक्षता के सिद्धांतों को कमजोर करता है। समिति ने सबसे विचार-विमर्श और सामूहिक निर्णय की जगह अपने संख्यात्मक बहुमत पर भरोसा किया और बैठक में उठाई वाजिब चिंताओं की अनदेखी की।"
कांग्रेस ने किन नामों पर जताई थी सहमति?
कांग्रेस नेताओं ने योग्यता और समावेशियता को ध्यान में रखते हुए अध्यक्ष पद के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और केएम जोसेफ के नाम सुझाए थे। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक पारसी समुदाय के नरीमन अपनी बौद्धिक गहराई और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध हैं। अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के कुट्टियिल मैथ्यू जोसेफ ने कई ऐसे फैसले दिए हैं, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और हाशिए पर पड़े समूहों की सुरक्षा पर जोर देता है।
कैसे होता है मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का चयन?
आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के चयन के लिए बनी समिति में 6 सदस्य होते हैं। समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं और उनके नेतृत्व में गठित समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति नियुक्ति करते हैं। समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उप-सभापति, संसद के दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री होते हैं। NHRC में एक अध्यक्ष और 5 सदस्य होते हैं। अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 साल के लिए होता है।
अभी तक अरुण कुमार मिश्रा थे आयोग के अध्यक्ष
रामसुब्रमण्यम की नियुक्ति से पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अरुण कुमार मिश्रा आयोग के अध्य़क्ष थे। उनका कार्यकाल 1 जून को समाप्त हो गया था, जिसके बाद आयोग की सदस्य विजया भारती स्यानी कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। रामसुब्रमण्यम के अलावा प्रियांक कानूनगो और डॉ. न्यायमूर्ति बिद्युत रंजन सारंगी को NHRC पैनल का सदस्य नियुक्त किया गया है। कानूनगो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष और सारंगी झारखंड हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं।