#NewsBytesExplainer: जर्मनी ने कुशल भारतीय कामगारों का वीजा कोटा 4 गुना बढ़ाया, क्या है वजह?
यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश जर्मनी से भारत के लिए बड़ी खबर आई है। जर्मनी ने भारत के कुशल कारीगरों के लिए वीजा का सालाना कोटा 4.5 गुना बढ़ा दिया है। पहले जर्मनी एक साल में 20,000 भारतीयों को वीजा जारी करता था, लेकिन अब 90,000 लोगों को करेगा। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने भारत यात्रा के दौरान ये ऐलान किया है। आइए जानते हैं जर्मनी के इस फैसले के पीछे वजह क्या है।
जर्मनी को हर साल 4 लाख पेशेवर की जरूरत
जर्मनी के श्रम व सामाजिक मामलों के मंत्री हुबेर्टस हील ने हाल ही में कहा था, "जर्मनी को हर साल 4 लाख पेशेवर कामगार चाहिए और इसमें से बड़ी संख्या भारत से ली जाएगी। भारतीय कामगारों को पूरी दुनिया में इज्जत है और जर्मनी का अनुभव बहुत बेहतर है। देश में आप्रवासन के लिए कानूनी आवश्यकताओं का एक नया ढांचा स्थापित किया है। इसमें वीजा डिजिटलीकरण कार्यक्रम और वीजा प्रतीक्षा समय कम किया गया है।"
बूढ़ी हो रही है जर्मनी की आबादी
जर्मनी कुशल कारीगरों की कमी का सामना कर रहा है, क्योंकि वहां की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। आंकड़ों के अनुसार, 2014 में जर्मनी की लगभग 27 प्रतिशत आबादी 60 साल या उससे ज्यादा उम्र की थी, जो 2030 तक 35 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। ऐसे में आबादी के इतने बड़े हिस्से की देखभाल के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की गति को बनाए रखने के लिए जर्मनी को कुशल युवा कामगारों की जरूरत है।
जर्मनी में कुशल कामगारों की भी कमी
अमेरिका और चीन के बाद जर्मनी दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन कोरोना काल और रूस-यूक्रेन युद्ध से से उपजे संकट के चलते इसे प्रतिद्वंद्विता में पिछड़ने की आशंका है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी के 70 से ज्यादा व्यवसाय कुशल कारीगरों की कमी का सामना कर रहे हैं। इनमें परिवहन, विनिर्माण, निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, इंजीनियरिंग और IT जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसी वजह से जर्मनी ने श्रम कानूनों में भी बदलाव किए हैं।
भारत को लेकर जर्मनी का विशेष प्रपत्र
जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज फिलहाल भारत यात्रा पर हैं। यहां आने से पहले उनके मंत्रिमंडल ने 'फोकस ऑन इंडिया' नाम से एक प्रपत्र को मंजूरी दी है। भारत ऐसा दूसरा देश है, जिसे लेकर जर्मनी ने विशेष प्रपत्र जारी किया है। इसमें भारत के कुशल व पेशेवर कामगारों को जर्मनी में अवसर देने का जिक्र किया गया है। बता दें कि जर्मनी में भारतीय समुदाय के लोगों की संख्या दोगुनी होकर 2.50 लाख हो चुकी है।
भारतीय छात्रों की भी पंसद जर्मनी
जर्मन अकादमिक एक्सचेंज सर्विस (DAAD) के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 के शीतकालीन सेमेस्टर में भारत से 49,483 अंतरराष्ट्रीय छात्र जर्मनी में अध्ययन कर रहे थे। यह पिछले साल की तुलना में 15 प्रतिशत ज्यादा है। फिलहाल जर्मनी में अंतरराष्ट्रीय छात्रों में सबसे बड़ा समुदाय भारतीय छात्रों का है, जिन्होंने चीनी छात्रों को पीछे छोड़ दिया है। करीब 43,000 भारतीय छात्र जर्मनी के अलग-अलग विश्विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं। 2019 में ये आंकड़ा 20,000 के आसपास था।
कैसे हैं भारत-जर्मनी संबंध?
1951 में भारत और जर्मनी के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। साल 2000 से दोनों देशों के बीच 'रणनीतिक साझेदारी' और 2017 से सामाजिक सुरक्षा पर व्यापक समझौता भी लागू है। जर्मनी 2022-23 तक भारत का 12वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और भारत में 7वां सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक है। भारत में लगभग 1,700 जर्मन उद्यम कार्यरत हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 4 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।