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    #NewsBytesExplainer: नेपाल के नए नोटों को छापेगी चीनी कंपनी, नक्शे पर भारत को क्यों है आपत्ति? 
    नेपाल ने नए नोट छापने का ठेका चीनी कंपनी को दिया है

    #NewsBytesExplainer: नेपाल के नए नोटों को छापेगी चीनी कंपनी, नक्शे पर भारत को क्यों है आपत्ति? 

    लेखन आबिद खान
    Oct 31, 2024
    06:59 pm

    क्या है खबर?

    सीमा विवाद को लेकर नेपाल और भारत के बीच तकरार जारी है। इस बीच नेपाल ने एक और विवादित कदम उठाया है।

    नेपाल के केंद्रीय बैंक ने 100 रुपये के नए नेपाली नोट छापने का ठेका एक चीन की कंपनी को दे दिया है। ये वहीं नोट हैं, जिन पर छपे नक्शे में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल का हिस्सा बताया गया है।

    आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।

    बयान

    नोट छापने के ठेके को लेकर नेपाल ने क्या कहा?

    नेपाल के केंद्रीय बैंक की ओर से जारी बयान के मुताबिक, चीनी कंपनी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन को नए बैंकनोटों की छपाई का ठेका दिया गया है।

    बैंक ने बताया कि 100 रुपये के 30 करोड़ नोटों की डिजाइनिंग, प्रिंटिंग, आपूर्ति और वितरण के लिए ये अनुबंध है।

    नेपाल राष्ट्र बैंक ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में करीब 89 लाख डॉलर (करीब 75 करोड़ रुपये) का खर्च आएगा।

    नक्शे पर विवाद

    नोटों पर छपे नक्शे को लेकर क्या है विवाद? 

    नोटों पर छपे नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। इन इलाकों को लेकर भारत-नेपाल के बीच सालों से विवाद है।

    इससे पहले 2020 में नेपाल ने एक संवैधानिक संशोधन के जरिए इन तीनों इलाकों को अपना हिस्सा बताते हुए नया नक्शा जारी किया था।

    इसी साल 25 अप्रैल और 2 मई को नेपाली संसद ने 100 रुपये के नोट पर पुराने नक्शे को बदलने की मंजूरी दी थी।

    चीनी कंपनी

    चीनी कंपनी को ही क्यों दिया गया ठेका?

    माना जाता है कि बीते कुछ समय से नेपाल की भारत से दूरी और चीन से नजदीकी बढ़ रही है।

    नक्शे को लेकर विवाद को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

    नेपाल में हालिया चुनाव के बाद केपी शर्मा ओली गठबंधन सरकार के तहत नए प्रधानमंत्री बने हैं। ओली को खुले तौर पर चीन का समर्थक माना जाता है।

    2015 में नेपाल के नए संविधान के खिलाफ प्रदर्शन के पीछे ओली ने भारत का हाथ बताया था।

    सीमा विवाद

    भारत-नेपाल में सीमा को लेकर क्या है विवाद?

    भारत और नेपाल करीब 1,850 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। यह भारत के 5 राज्यों, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छूती है।

    अंग्रेजों और नेपाल के गोरखा राजा के बीच 1816 में हुए सुगौली समझौते में के तहत काली नदी को नेपाल की पश्चिमी सीमा के रूप में नामित किया गया था।

    समझौते के तहत, काली नदी का पश्चिमी क्षेत्र भारत, जबकि नदी का पूर्वी क्षेत्र नेपाल के हिस्से में आया।

    कालापानी

    नक्शे में छपे हिस्सों को लेकर क्या है विवाद?

    भारत, नेपाल और चीन की सीमा से लगे इस इलाके में नदियों से मिलकर बनी एक घाटी है, जो नेपाल और भारत में बहने वाली काली नदी का उद्गम स्थल है। इस इलाके को कालापानी कहते हैं।

    यहीं पर लिपुलेख दर्रा भी है। यहां से उत्तर-पश्चिम में लिंपियाधुरा नामक एक और दर्रा है।

    दोनों देशों में नदी के उद्गम स्थल को लेकर विवाद है। भारत पूर्वी धारा को नदी का उद्गम, जबकि नेपाल पश्चिमी धारा को उद्गम स्थल मानता है।

    विवादित इलाके

    क्यों अहम है विवादित इलाके?

    वैसे तो विवादित इलाका केवल 335 वर्ग किलोमीटर का है, लेकिन भारत-नेपाल-चीन सीमा पर स्थिति की वजह से इसका काफी रणनीतिक महत्व है।

    कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में है। यहां से भारत चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रख सकता है। फिलहाल यहां भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) तैनात है।

    वहीं, लिपुलेख दर्रा भारत को तिब्बत से जोड़ता है। मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्री यहीं से गुजरते हैं। 1962 में भारत ने लिपुलेख दर्रे को बंद कर दिया था।

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