चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अचानक क्यों दिया इस्तीफा? नियुक्ति पर भी उठे थे सवाल
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका कार्यकाल 5 दिसंबर, 2027 तक था और संभवत: वे अगले साल मुख्य चुनाव आयुक्त बनने वाले थे। कानून मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि 9 मार्च को गोयल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है। गोयल के अचानक इस्तीफे से कई अटकलें लग रही हैं और सवाल भी उठ रहे हैं।
गोयल ने क्यों दिया इस्तीफा?
आधिकारिक तौर पर गोयल के इस्तीफा देने की वजह पता नहीं है, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि विभिन्न मुद्दों पर मतभेद के चलते गोयल ने पद छोड़ दिया है। कहा जा रहा है कि उनके और मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बीच मतभेद चल रहे थे। NDTV ने शीर्ष अधिकारियों के हवाले से बताया है कि गोयल ने इस्तीफा देते समय निजी कारणों का हवाला दिया है।
विपक्षी पार्टियों ने इस्तीफे पर उठाए सवाल
तृणमूल कांग्रेस (TMC) की महुआ मोइत्रा ने लिखा, 'गोयल ने कोलकाता में चुनाव आयोग की समीक्षा बैठक के ठीक बाद इस्तीफा क्यों दिया, जहां से वह अचानक चले गए थे?' कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, 'जैसा कि मैंने पहले कहा है, यदि हम अपने स्वतंत्र संस्थानों के व्यवस्थित विनाश को नहीं रोकते हैं तो तानाशाही द्वारा हमारे लोकतंत्र पर कब्जा कर लिया जाएगा! चुनाव आयोग अब गिरने वाली अंतिम संवैधानिक संस्थाओं में से एक होगी।'
गोयल ने IAS से भी ली थी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति
गोयल पंजाब कैडर के 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी रहे हैं। वे 31, दिसंबर 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन उससे एक महीने पहले 18 नवंबर, 2022 को उन्होंने IAS से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। इसके एक दिन बाद ही राष्ट्रपति ने गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया था। सेवानिवृत्ति के फौरन बाद उनकी नियुक्ति को लेकर खूब विवाद हुआ था और मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया था।
गोयल की नियुक्ति को भी दी गई थी चुनौती
गोयल की चुनाव आयोग में नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से दखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि गोयल की नियुक्ति कानून के मुताबिक नहीं है और चुनाव आयोग की सांस्थानिक स्वायत्तता का भी उल्लंघन है। इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 14 और 324(2) के साथ निर्वाचन आयोग (आयुक्तों की कार्यप्रणाली और कार्यकारी शक्तियां) कानून, 1991 का भी उल्लंघन है।
आगे क्या होगा?
पिछले साल सरकार ने शीर्ष चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति में विवादित बदलाव करते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) को चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया था। अब कानून मंत्री और 2 केंद्रीय सचिवों वाली एक खोज समिति आयुक्त के लिए 5 नामों का चयन करेगी। इसके बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति अंतिम उम्मीदवार का चयन करेगी। इस समिति में प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
कौन हैं गोयल?
7 दिसंबर, 1962 को पटियाला में जन्मे गोयल ने गणित में मास्टर्स की पढ़ाई की है। उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाओं में प्रथम श्रेणी प्राप्त करने के लिए चांसलर मेडल ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया था। बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से विकास अर्थशास्त्र से भी पढ़ाई की है। गोयल भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव, संस्कृति सचिव, श्रम और रोजगार मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।