#NewsBytesExplainer: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से कितने बदलेंगे भारत-अमेरिका के रिश्ते?
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत हुई है। उन्होंने बहुमत के लिए जरूरी 270 इलेक्टोरल वोट्स जुटा लिए हैं। वहीं उनकी प्रतिद्वंद्वी और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को अभी तक 224 इलेक्टोरल वोट्स ही मिले हैं। ऐसे में ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे। आइए जानते हैं कि उनकी जीत से भारत-अमेरिका संबंध कितने बदल सकते हैं।
टैरिफ को लेकर बढ़ सकती हैं भारत की चिंताएं
ट्रंप अपनी आर्थिक नीतियों में 'अमेरिका फर्स्ट' को प्राथमिकता देते आए हैं। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने अमेरिकी उद्योगों को संरक्षण देने की नीति अपनाई थी और चीन-भारत समेत कई देशों के आयात पर भारी टैरिफ लगाया था। भारत को तो ट्रंप ने 'टैरिफ किंग' तक कह दिया था। हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर टैरिफ का मुद्दा ट्रंप कई बार उठा चुके हैं। ऐसे में टैरिफ को लेकर ट्रंप की नीतियों से भारत को नुकसान हो सकता है।
टैरिफ नियमों से भारतीय GDP पर पड़ सकता है असर- जानकार
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार पत्रकार शशांक मट्टू ने 'एक्स' पर लिखा, 'कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर ट्रंप के टैरिफ नियम लागू हुए तो 2028 तक भारत की GDP में 0.1 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। ट्रंप की कारोबारी नीतियों से भारत का आयात महंगा हो सकता है। ये महंगाई दर को बढ़ाएगा और ब्याज दरों में कटौती नहीं हो पाएगी। इससे खास कर मध्य वर्ग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि उनकी EMI बढ़ सकती हैं।'
वीजा को लेकर क्या है ट्रंप का रुख?
ट्रंप ने पिछले कार्यकाल में विदेशी कारिगरों पर प्रतिबंध लगाए थे। H-1B वीजा कार्यक्रम पर ट्रंप के रुख से भारतीय पेशेवरों पर काफी असर पड़ा था और IT कंपनियों के लिए चुनौतियां पैदा हुई थीं। ट्रंप का मानना है कि बाहरी लोग अमेरिकी लोगों का रोजगार हथिया रहे हैं। 2022 में अमेरिका ने जितने H-1B वीजा जारी किए, उनमें से करीब 72 प्रतिशत भारतीयों को थे। ऐसे में वीजा पर किसी भी फैसले का भारतीयों पर असर पड़ना तय है।
भारत को क्या हो सकते हैं फायदे?
विशेषज्ञों के अनुसार ट्रंप की जीत से भारत की अर्थव्यवस्था को कुछ फायदे भी हो सकते हैं। मंझोली IT कंपनियों के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं। अगर ट्रंप चीन के मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा खत्म कर दें तो भारतीय कंपनियों को फायदा होगा। ट्रंप ने कहा था कि टैरिफ को लेकर चीन सबसे ज्यादा सख्त है। अगर ट्रंप प्रशासन अमेरिकी कंपनियों की चीन पर निर्भरता कम करने का कदम उठाता है तो भारत को फायदा हो सकता है।
चीन को लेकर कैसा रह सकता है रुख?
ट्रंप को चीन का विरोधी माना जाता है। उनके पहले कार्यकाल में अमेरिका और चीन संबंध काफी बिगड़ गए थे। अगर ऐसी स्थिति रही तो इससे भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध मजबूत हो सकते हैं। भारत और अमेरिका के बीच हथियारों के निर्यात, संयुक्त सैन्य अभ्यास और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में प्रगति देखने को मिल सकती है। इससे चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत की स्थिति मजबूत हो सकती है।
कश्मीर को लेकर कैसा है ट्रंप का नजरिया?
2019 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका के दौरे पर थे। तब उन्होंने ट्रंप से भी मुलाकात की थी। उस दौरान ट्रंप ने कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कही थी और ये दावा कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चाहते हैं कि वे (ट्रंप) कश्मीर पर मध्यस्थता करें। इस बयान से भारत के लिए स्थिति असहज हो गई थी और भारत ने ट्रंप के दावे को खारिज कर दिया था।