महाकुंभ के बीच CPCB रिपोर्ट से झटका, संगम के पानी को दूषित बताया
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट से हड़कंप मच गया है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि त्रिवेणी संगम का पानी सीवेज से भी ज्यादा दूषित और खतरनाक है।
CPCB की रिपोर्ट के मुताबिक, अपशिष्ट जल संदूषण के सूचक 'फेकल कोलीफॉर्म' नाम का बैक्टीरिया स्वीकार्य सीमा एक मिलीलीटर पानी में 100 है, लेकिन यह 2,500 पाया गया है।
जानकारी
क्या है फेकल कोलीफॉर्म?
फेकल कोलीफॉर्म एक तरह का बैक्टीरिया है, जो मानव और पशु मल से निकलने वाले रोगाणु हैं। सामान्य स्थिति में एक मिलीलीटर पानी में 100 बैक्टीरिया होने चाहिए। ऐसा पानी इस्तेमाल करना शरीर के लिए घातक हो सकता है, जिससे कई बीमारियों का खतरा है।
जांच
73 अलग-अलग जगह से इकट्ठा किया गया है नमूना
CPCB ने बताया कि उसकी टीम ने 9 से 21 जनवरी के बीच प्रयागराज के कुल 73 अलग-अलग जगहों से पानी के नमूनों को इकट्ठा किया था और जांच के लिए भेजा था।
इस दौरान कुल 6 पैमानों पर गंगा-यमुना के पानी की जांच की गई। इसमें पानी में पीएच स्तर यानी अम्लीय और क्षारीय स्तर, फेकल कोलीफॉर्म, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्बड ऑक्सीजन शामिल है।
इसमें फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाई गई।
सुनवाई
NGT ने क्या कहा?
प्रयागराज में गंगा-यमुना नदियों में अपशिष्ट जल के बहाव को रोकने के मुद्दे पर NGT प्रमुख न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य सुधार अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने कहा कि CPCB ने 3 फरवरी को एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें उल्लंघन का इशारा किया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया था कि निगरानी स्थानों पर फेकल कोलीफॉर्म के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी।
महाकुंभ
अब तक 54 करोड़ लोग कर चुके हैं स्नान
महाकुंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ शुरू हुआ, जिसमें अलग-अलग दिन अमृत स्नान का आयोजन किया गया।
महाकुंभ 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर अंतिम शाही स्नान के साथ समाप्त होगा। कुंभ में अब तक 54 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं।
शाही स्नान के दिन 5-10 करोड़ श्रद्धालु स्नान के लिए आ रहे थे।
महाकुंभ के दौरान संगम में पानी की स्वच्छता का जिम्मा प्रयागराज नगर निगम और उत्तर प्रदेश जल निगम के पास है।