
#NewsBytesExplainer: क्या था जम्मू-कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 35A, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में पिछले कई दिनों से जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है।
सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार प्रदान करने वाले अनुच्छेद 35A को लेकर एक तल्ख टिप्पणी की।
आइए जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 35A क्या था, जो 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के साथ ही समाप्त हो गया था।
अनुच्छेद
क्या था अनुच्छेद 35A?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर राज्य की विधायिका को राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करने और उन्हें विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था।
इसके साथ ही इसके तहत राज्य की विधायिका को ऐसे कानून बनाने का अधिकार मिला था, जिन्हें दूसरे राज्यों के लोगों के समानता के अधिकार या भारतीय संविधान के तहत किसी अन्य अधिकार के उल्लंघन के आधार पर कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।
उपज
कैसे हुआ था अनुच्छेद 35A का जन्म?
अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 से ही उपजा था।
इसे 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इसे संविधान में शामिल किया था।
इसके लिए संसद से मंजूरी नहीं ली गई थी और धारा 370(1)(D) में दिए गए विशेषाधिकार का प्रयोग किया गया था।
इसकी नींव नेहरू और जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच 1952 में हुए दिल्ली समझौते के आधार पर रखी गई थी।
अधिकार
अनुच्छेद 35A के तहत क्या विशेषाधिकार थे?
नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय नागरिकता के अधीन लाने के लिए राज्य के निवासियों को अनुच्छेद 35A के तहत कुछ विशेषाधिकार प्रदान किए थे।
इन विशेषाधिकारों में भूमि और अचल संपत्ति खरीदने की क्षमता, मतदान करने और चुनाव लड़ने की क्षमता, उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों के अवसर आदि शामिल थे।
इसके बाद 1956 में बने जम्मू-कश्मीर के संविधान में इन अधिकारों का प्रयोग करते हुए बाहरी लोगों को राज्य का नागरिक बनने से रोक दिया गया था।
विवाद
अनुच्छेद 35A को लेकर क्या विवाद था?
संसद में पेश नहीं किए जाने के कारण अनुच्छेद 35A पर असंवैधानिक होने के सवाल उठते थे।
कई लोग अनुच्छेद 35A के जरिए जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार देकर अलगाववाद की भावना को बढ़ावा देने और एक भारत की सोच को चुनौती देने का आरोप लगाते आए हैं।
इसके अलावा इस अनुच्छेद के कारण आजादी के समय पाकिस्तान से भारत आने के बावजूद हजारों शरणार्थी जम्मू-कश्मीर के मौलिक अधिकारों और नागरिकता से वंचित रहे।
बयान
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 35A ने जम्मू-कश्मीर के गैर-निवासियों के 3 अहम मौलिक अधिकारी छीन लिए थे।
कोर्ट ने कहा था कि इसके कारण अनुच्छेद 16(1) के तहत सार्वजनिक नौकरियों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता ,अनुच्छेद 19(1)(F) और 31 के तहत संपत्तियों का अधिग्रहण और अनुच्छेद 19(1)(E) के तहत देश के किसी भी हिस्से में बसने का अधिकार छिन गया था।
फैसला
न्यूजबाइट्स प्लस
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को समाप्त करते हुए भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों को राज्य पर लागू कर दिया था।
इसका तात्पर्य यह था कि अनुच्छेद 35A खुद समाप्त हो गया क्योंकि वह अनुच्छेद 370 की ही देन था।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, में भी बांट दिया था।