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    #NewsBytesExplainer: क्या है क्रीमी लेयर, जिसे SC-ST आरक्षण में लागू करने से सरकार ने किया इनकार?
    सरकार ने SC/ST में क्रीमी लेयर लागू करने से इनकार कर दिया है

    #NewsBytesExplainer: क्या है क्रीमी लेयर, जिसे SC-ST आरक्षण में लागू करने से सरकार ने किया इनकार?

    लेखन आबिद खान
    Aug 10, 2024
    07:53 pm

    क्या है खबर?

    देश में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) आरक्षण को लेकर काफी चर्चाएं चल रही है।

    हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST आरक्षण में कोटा के अंदर कोटा को मंजूरी दी थी और सरकार से क्रीमी लेयर लागू करने पर भी विचार करने को कहा था। अब सरकार ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

    आइए जानते हैं कि क्रीमी लेयर क्या होता है।

    फैसला

    सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला जानिए

    1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने SC और ST आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे को मंजूरी दी थी।

    कोर्ट ने कहा था कि कोटे में कोटा असमानता के खिलाफ नहीं है और राज्य सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में उप-श्रेणियां बना सकती हैं।

    कोर्ट ने ये भी कहा था कि सरकार को SC/ST में भी क्रीमी लेयर लागू करने पर विचार करना चाहिए। इसे लेकर दलित सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलकर चिंता जताई थी।

    क्रीमी लेयर

    क्या होती है क्रीमी लेयर?

    क्रीमी लेयर का मतलब है कि अब उस वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा, जिसने आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगति कर ली है।

    आसान भाषा में समझें तो जिन लोगों को पहले आरक्षण का लाभ मिलता था और वे अब संपन्न हो चुके हैं, ऐसे में उन्हें पहले की तरह आरक्षण का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा।

    इसका उद्देश्य यह है कि आरक्षण का लाभ उन्हें मिलना चाहिए, जो वास्तव में वंचित वर्ग से हैं।

    प्रावधान

    कब लागू हुआ क्रीमी लेयर का प्रावधान?

    1992 के चर्चिच इंदिरा साहनी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्रीमी लेयर की अवधारणा सामने आई थी। इसे मंडल आयोग मामले के रूप में भी जाना जाता है।

    तब कोर्ट ने कहा था कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में संपन्न वर्गों को आरक्षण के लाभ का दावा नहीं करना चाहिए, लेकिन इस वर्ग के वास्तव में जरूरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। इसके बाद 1993 में OBC में क्रीमी लेयर का प्रावधान लागू किया गया।

    दायरा

    क्रीमी लेयर में कौन-कौन लोग आते हैं?

    8 लाख से अधिक सालाना आय वाले परिवारों को क्रीमी लेयर का हिस्सा माना जाता है।

    इसके अलावा ग्रुप A और ग्रुप B सेवाओं में उच्च पदस्थ अधिकारियों के बच्चे भी क्रीमी लेयर में आते हैं। डॉक्टर, इंजीनियर और वकील जैसे संपन्न पेशेवरों के बच्चों को भी क्रीमी लेयर का हिस्सा माना जाता है।

    जिन किसानों के पास ज्यादा जमीन होती है, उन्हें भी क्रीमी लेयर में शामिल किया जाता है।

    OBC

    वर्तमान में OBC में लागू है क्रीमी लेयर

    फिलहाल OBC के आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर की सीमा लागू है। OBC को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।

    क्रीमी लेयर के प्रावधान को मुताबिक, अगर किसी OBC परिवार की सालाना आय 8 लाख से अधिक है तो उस परिवार के लड़के या लड़की को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।

    इसके अलावा SC और ST में पदोन्नति में क्रीमी लेयर के सिद्धांत का पालन किया जाता है।

    सीमा

    क्रीमी लेयर में अब तक कोई बदलाव हुआ है?

    क्रीमी लेयर की आय सीमा में कई बार बदलाव हुए हैं, लेकिन इसकी परिभाषा 1993 से नहीं बदली है।

    1993 में क्रीमी लेयर की आय सीमा सालाना 1 लाख रुपये थी। इसमें पहली बार बदलाव 9 मार्च, 2004 को हुआ और इसे बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया था।

    उसके बाद अक्टूबर 2008 में 4.5 लाख, मई 2013 में 6 लाख और सितंबर 2017 में इसे बढ़ाकर 8 लाख कर दिया गया था।

    सरकार

    SC/ST में क्रीमी लेयर पर सरकार ने क्या कहा?

    केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "मंत्रिमंडल के सभी नेताओं का एक मत है। साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार भी संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है। अंबेडकर के दिए संविधान के अनुसार, SC-ST आरक्षण में 'क्रीमी लेयर' के लिए कोई प्रावधान नहीं है। SC-ST आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुरूप होना चाहिए।"

    इससे पहले SC/ST सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।

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