सुप्रीम कोर्ट में बोली केंद्र सरकार- पदोन्नति में आरक्षण रद्द करने से फैल सकती है अशांति
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण रद्द करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया है।
इसमें सरकार ने कहा कि यदि सरकारी नौकरियों में आरक्षण को रद्द किया जाता है तो कर्मचारियों के बीच बड़ी अशांति फैल सकती है और मामले दर्ज हो सकते हैं।
सरकार ने कहा कि आरक्षण की नीति संविधान और इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून के अनुरूप ही है।
प्रकरण
दिल्ली हाई कोर्ट ने निरस्त की थी केंद्र सरकार की अधिसूचना
बता दें कि साल 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस अधिसूचना को निरस्त कर दिया था, जिसमें आरक्षित वर्ग के केंद्रीय कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण दिया गया था।
कोर्ट ने कहा था कि 1997 के फैसले के तहत आरक्षण तब तक नहीं दिया जा सकता, जब तक यह न देखा जाए कि उच्च पदों पर पिछड़े वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
केंद्र ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था केंद्र से हलफनामा
इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है और यह राज्य सरकारों के विवेक पर निर्भर है।
इसके बाद पदोन्नति में आरक्षण पर विरोधाभास हुआ था और कई राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी।
28 जनवरी, 2022 को सुप्रीम ने नियमों से छेड़छाड़ करने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार से आरक्षण देने के संबंध में नया हलफनामा मांगा था।
बचाव
केंद्र सरकार ने किया पदोन्नति में आरक्षण देने के फैसले का बचाव
जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की पीठ के समक्ष दायर हलफनामे में केंद्र ने कहा कि आरक्षण की नीति संविधान और इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून के अनुरूप है।
इसी तरह सरकारी नौकरियों में SC-ST का प्रतिनिधित्व भी अपर्याप्त है। केंद्र ने कहा कि यदि आरक्षण रद्द किया जाता है तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
साल 2017 से 2020 के बीच करीब साढ़े चार लाख से अधिक कर्मचारियों को पदोन्नति दी गई है।
पदोन्नति
अच्छा प्रदर्शन करने वालों को दी गई है पदोन्नति- केंद्र
केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि SC-ST कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने से प्रशासन की दक्षता में किसी भी तरह की बाधा नहीं आई है। इसका लाभ मानदंडों को पूरा करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को ही दिया गया है।
सरकार ने कहा कि आरक्षण रद्द होने से कर्मचारियों को दी गई पदोन्नति में आरक्षण को वापस लेना होगा।
वेतन और पेंशन का भी पुनर्निर्धारण किया जाएगा और अतिरिक्त वेतन और पेंशन की वसूली भी करनी पड़ेगी।
डाटा
केंद्र ने प्रस्तुत किया कर्मचारियों का डाटा
सरकार ने हलफनामे में 75 मंत्रालयों और विभागों का डाटा पेश करते हुए कहा कि कुल कर्मचारियों की संख्या 27,55,430 है। इनमें से 4,79,301 कर्मचारी SC वर्ग और 2,14,738 कर्मचारी ST वर्ग से हैं। इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कर्मचारियों की संख्या 4, 57,148 है।
सरकार ने कहा कि प्रतिशत के लिहाज से केंद्र सरकार के कुल कर्मचारियों में SC 17.3 प्रतिशत, ST 7.7 प्रतिशत और OBC 16.5 प्रतिशत हैं। ऐसे नौकरियों में प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है।