UCC से प्रभावित नहीं होंगे आदिवासी समुदायों के अधिकार और रीति-रिवाज- केंद्रीय मंत्री बघेल
केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा है कि पूर्वोत्तर भारत और देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के अधिकार और रीति-रिवाज प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (UCC) से प्रभावित नहीं होंगे। बघेल ने कहा कि भाजपा अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय की विविधता और संस्कृति का सम्मान करती है और ऐसा कोई कानून नहीं लागू करेगी, जो उनके हितों के खिलाफ होगा।
बघेल ने क्या कहा?
बघेल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "भाजपा ने आदिवासी समुदाय की महिला को भारत के राष्ट्रपति के रूप में नामित करने का फैसला किया था। पार्टी में आदिवासी विधायकों, सांसदों और मंत्रियों की सबसे बड़ी संख्या भी है। भाजपा पूर्वोत्तर भारत के रीति-रिवाजों का सम्मान करती है।" उन्होंने आगे कहा, "हम किसी भी धार्मिक या सामाजिक रीति-रिवाजों को चोट नहीं पहुंचाएंगे, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति भी सही नहीं है।"
'नया कानून बनाए जाने से पहले ली जाएगी राय'
वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री बघेल ने कहा, "असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों में कोई भी नया कानून तब तक लागू नहीं होगा जब तक इन राज्यों की विधानसभाएं केंद्र सरकार के फैसले को स्वीकृति नहीं देंगीं।" उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के आदिवासियों के लिए भी सलाह ली जाएगी और कोई भी नया कानून बनाने से पहले उनकी राय को ध्यान में रखा जाएगा।
सुशील मोदी ने भी कही था आदिवासियों को UCC से बाहर रखने की वकालत
भाजपा के राज्यसभा सांसद और कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने हाल ही में कहा था कि पूर्वोत्तर और अन्य क्षेत्रों के आदिवासियों को संभावित UCC के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। दरअसल, सोमवार को हुई एक बैठक में कई विपक्षी पार्टियों ने UCC का विरोध करते हुए कहा था कि इससे संविधान की अनुसूची 6 के तहत आदिवासियों को मिले विशेष प्रावधानों को नुकसान पहुंचेगा।
आदिवासी संगठन कर रहे हैं UCC का विरोध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा UCC का समर्थन किए जाने के बाद से भाजपा इसे लागू करने पर जोर दे रही है। हालांकि, कई अल्पसंख्यक समूहों और आदिवासी संगठनों ने UCC का विरोध किया है। उनका तर्क है कि UCC के लागू होने से उनकी पहचान और स्वायत्तता खत्म हो जाएगी। बतौर रिपोर्ट्स, ईसाई बहुसंख्यक आबादी वाले मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में UCC का सबसे अधिक विरोध किया जा रहा है।
क्या है UCC?
UCC का मतलब है कि देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वह उन्हीं के मुताबिक चलते हैं। UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। यह महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।