#NewsBytesExplainer: नागरिकता कानून की धारा 6A क्या है?
एक बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता कानून, 1955 की धारा 6A की वैधता को बरकरार रखा है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 4:1 से धारा की वैधता बरकरार रखी है। पीठ ने कहा कि असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का राजनीतिक समाधान था और धारा 6A विधायी समाधान था। पीठ में शामिल जस्टिस पारदीवाला ने फैसले से असहमति जताई। आइए पूरा मामला जानते हैं।
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा, "हमने धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। हम किसी को अपने पड़ोसी चुनने की अनुमति नहीं दे सकते और यह उनके भाईचारे के सिद्धांत के खिलाफ है। हमारा सिद्धांत है जियो और जीने दो। एक बार जब अप्रवासी भारत के नागरिक बन गए तो वे भारत के संविधान द्वारा शासित हो गए। यह उन्हें हमारे देश के कानूनों का पालन करने से मुक्त नहीं करता है।"
जानिए क्या है धारा 6A
नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6A के तहत भारतीय मूल के विदेशी प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जाती है। इसे 1985 में असम समझौते के दौरान जोड़ा गया था। इस कानून के तहत, जो बांग्लादेशी अप्रवासी 1 जनवरी, 1966 से 25 मार्च, 1971 तक असम आए हैं, वो खुद को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करा सकते हैं। 25 मार्च, 1971 के बाद असम आने वाले विदेशी भारतीयों को नागरिकता नहीं दी जाएगी।
क्या है असम समझौता?
1971 में पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई के बाद लगभग 10 लाख लोगों ने असम में शरण ली। बांग्लादेश बनने के बाद इनमें से अधिकांश वापस लौट गए, लेकिन बड़ी संख्या में बांग्लादेशी असम में ही अवैध रूप से रहने लगे। स्थानीय लोग इसका विरोध करने लगे। 1983 में प्रदर्शन हिंसक होने के बाद 1985 में केंद्र सरकार और आंदोलनकारियों के बीच असम समझौता हुआ था।
असम समझौते में क्या प्रावधान हैं?
समझौते के मुताबिक, 25 मार्च, 1971 के बाद असम में आए सभी बांग्लादेशी नागरिकों को असम से निकाला जाएगा। 1951 से 1961 के बीच असम आए सभी लोगों को पूर्ण नागरिकता और मतदान का अधिकार दिया गया। 1961 से 1971 के बीच असम आने वाले लोगों को नागरिकता और दूसरे अधिकार दिये गए, लेकिन मतदान का अधिकार नहीं दिया गया। असम के आर्थिक विकास के लिए विशेष पैकेज भी दिया गया था।
धारा 6A की वैधता को क्यों दी गई थी चुनौती?
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि ये धारा बांग्लादेश से विदेशी प्रवासियों की अवैध घुसपैठ को वैध बनाती है। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, धारा 6A भेदभावपूर्ण, मनमानी, अवैध है और संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 29 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि यह प्रावधान लोकतंत्र, संघवाद और कानून के शासन के व्यापक सिद्धांतों को कमजोर करता है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं।
धारा 6A के समर्थन में क्या तर्क दिए गए?
केंद्र सरकार ने कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 11 का हवाला दिया। अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता के अधिग्रहण और समाप्ति और नागरिकता से संबंधित अन्य सभी मामलों के संबंध में कोई भी प्रावधान करने की शक्ति देता है। वहीं, दूसरे पक्षों ने तर्क दिया कि यदि धारा 6A को समाप्त करने से बड़ी संख्या में वर्तमान निवासी 'राज्यविहीन' हो जाएंगे और 50 से अधिक सालों तक नागरिकता के अधिकारों का लाभ लेने के बाद उन्हें विदेशी माना जाएगा।