#NewsBytesExplainer: कोलकाता कांड के आरोपी का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट, ये क्या होता है?
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी का अब पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाएगा। इंडिया टुडे के मुताबिक, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को इसके लिए कोर्ट से अनुमति मिल गई है। माना जा रहा है कि 20 अगस्त को आरोपी संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि ये क्या होता है।
क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट?
पॉलीग्राफ टेस्ट को 'लाई डिटेक्टर टेस्ट' भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति द्वारा बोले जा रहे झूठ को पकड़ने में होता है। टेस्ट के दौरान आरोपी से कुछ सवाल पूछे जाते हैं और जवाब देते हुए उसके शरीर में होने वाली हलचल और गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है। दरअसल, जब कोई झूठ बोलता है तो धड़कन, सांस लेने के तरीके जैसी गतिविधियों में बदलाव आता है। इसी आधार पर सच या झूठ का पता लगाया जाता है।
कैसे किया जाता है पॉलीग्राफ टेस्ट?
पॉलीग्राफ मशीन में अलग-अलग उपकरण होते हैं जैसे न्यूमोग्राफ, कार्डियोवास्कुलर रिकॉर्डर और गैल्वेनोमीटर। इन उपकरणों को आरोपी व्यक्ति के हाथों और उंगलियों और सीने से तारों या नलियों की मदद से जोड़ा जाता है। इस दौरान मशीन पर आरोपी की धड़कन, ब्लड प्रेशर और दूसरी गतिविधियां दिखाई देती हैं। फिर आरोपी से सवाल पूछे जाते हैं और उसके जवाब देने के दौरान स्क्रीन पर होने वाली गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है।
पॉलीग्राफ मशीन में कौन-कौनसे उपकरण होते हैं?
मशीन में एक न्यूमोग्राफ होता है, जो आरोपी व्यक्ति के सांस लेने के तरीके को रिकॉर्ड करता है और इसमें होने वाले बदलाव का पता लगाता है। एक कार्डियोवास्कुलर रिकॉर्डर होता है, जो व्यक्ति की दिल की गति और ब्लड प्रेशर को रिकॉर्ड करता है। एक गैल्वेनिक स्किन रेसिस्टेंस होता है, जिसका काम उंगलियों पर पसीने की वजह से होने वाली इलेक्ट्रिकल चालकता को मापना होता है। एक रिकॉर्डर होता है, जो डेटा को रिकॉर्ड करता है।
टेस्ट के दौरान किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं?
टेस्ट के दौरान कंट्रोल क्वेश्चन टेस्ट (CQT) और गिल्टी नॉलेज टेस्ट (GKT) तकनीक का इस्तेमाल होता है। CQT में व्यक्ति के अतीत से जुड़े व्यापक प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके बाद उस खास अपराध से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं, जिसके आरोप व्यक्ति पर लगा है। GKT में व्यक्ति से ऐसे सवाल पूछे जाते हैं, जिनका उत्तर सिर्फ उसे ही पता होता है। इसमें एक सवाल पूछकर उसके 3-4 संभावित जवाबों पर हां या ना पूछा जाता है।
कितना सटीक होता है पॉलीग्राफ टेस्ट?
पॉलीग्राफ टेस्ट की सटीकता पर सवाल उठते रहे हैं। दरअसल, अगर कोई व्यक्ति पहले से ही घबराया हुआ है और वो सच बोल रहा है, तब भी उसकी शरीर की गतिविधि सामान्य से अलग हो सकती है। ऐसी स्थिति में सच बोल रहा व्यक्ति भी झूठा साबित हो सकता है। इसका उलटा भी होता है। कई शातिर अपराधी अपने शरीर की गतिविधियों को इतना नियंत्रित कर लेते हैं कि सच या झूठ आसानी से नहीं पकड़ा जा सकता।
पॉलीग्राफ मशीन का इतिहास
1878 में इटली के चिकित्सक एंजेलो मोसो द्वारा बनाए गए एक यंत्र को दुनिया की पहली पॉलीग्राफ मशीन माना जाता है। समय के साथ इस मशीन में बदलाव होते रहे। 1914 में अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम मैरस्ट्रॉन और 1921 में कैलिफोर्निया पुलिस अधिकारी जॉन अगस्तस लार्सन ने इस मशीन को पूरी तरह से तैयार किया था। इस लिहाज से पॉलीग्राफ मशीन बनाने का श्रेय किसी एक शख्स को नहीं दिया जा सकता।