
वक्फ कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, पहले दिन सुनवाई में क्या-क्या हुआ?
क्या है खबर?
वक्फ बोर्ड से जुड़े कानून को लेकर आज कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ याचिकाओं पर सुनवाई की।
सुनवाई के शुरुआत में कपिल सिब्बल ने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ कानून मुस्लिम उत्तराधिकार का उल्लंघन है और धार्मिक मामलों में दखल है।
इस दौरान CJI ने कहा कि समय कम है, आफ सिर्फ बड़ी बातें रखें।
सिब्बल
कोर्ट में कपिल सिब्बल ने क्या-क्या तर्क दिए?
सिब्बल ने कहा, "संसदीय कानून के माध्यम से जो करने की कोशिश की जा रही है, वह एक धर्म के आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करना है। अधिनियम के कई प्रावधान अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करते हैं। इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद मिलता है, वे उससे पहले ही हस्तक्षेप कर रहे हैं। कानून लागू होने के बाद जिन संपत्तियों की वक्फ के तौर पर पहचान हुई है, उन्हें वक्फ नहीं माना जाएगा।"
कोर्ट
कोर्ट ने कहा- अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष, सभी पर लागू
सिब्बल की दलीलों पर पीठ ने कहा, "सरकार ने हिंदुओं के मामले में भी कानून बनाया है। इसी तरह संसद ने मुस्लिमों के लिए भी कानून बनाया है। अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है और सभी समुदायों पर लागू होता है।"
इसके बाद सिब्बल ने कहा, "केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। कानून लागू होने के बाद बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है।"
कोर्ट
कोर्ट ने सरकार से पूछा- क्या मुस्लिमों को हिंदू ट्रस्ट का हिस्सा बनाएंगे?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है।
कोर्ट ने कहा, "अंग्रेजों से पहले हमारे पास पंजीकरण अधिनियम नहीं था। कई मस्जिदें 13वीं, 14वीं और 15वीं शताब्दी में बनी हैं। आप उनसे सेल डीड पेश करने की अपेक्षा करते हैं, जो असंभव है।"
CJI ने पूछा कि अगर कोई संपत्ति वक्फ बाई यूजर है और वो रजिस्टर्ड नहीं है तो उसका क्या होगा?
चिंता
कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर पर जताई चिंता
CJI ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी जाएगी?
इस पर SG ने कहा कि अगर संपत्ति रजिस्टर्ड है तो वक्फ मानी जाएगी।
इस पर CJI ने कहा, "वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी। मैंने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले पढ़े हैं, जिनमें वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी गई है। आप ये नहीं कह सकते कि सभी ऐसी संपत्तियां फर्जी हैं।"
कानून
भारी विरोध के बीच संसद से पारित हुआ था विधेयक
वक्फ विधेयक 3 अप्रैल को भारी हंगामे के बीच लोकसभा से पारित हुआ था। विधेयक के समर्थन में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े थे।
4 अप्रैल को विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया। यहां समर्थन में 128 सदस्यों ने वोट दिया था, जबकि 95 सांसद विरोध में थे।
इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को विधेयक को मंजूरी दे दी और 8 अप्रैल को सरकार ने अधिसूचना जारी कर कानून को लागू कर दिया।
प्रावधान
क्या है कानून के बड़े प्रावधान?
वक्फ बोर्ड में अब 2 महिला और 2 गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे।
सरकार वक्फ संपत्तियों के सर्वे के लिए कलेक्टर को नियुक्त करेगी। पहले ये काम सर्वे कमिश्नर किया करते थे।
अभी तक वक्फ ट्रिब्यूनल को फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। अब फैसले को चुनौती दी जा सकेगी।
कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहे मुसलमान ही संपत्ति दान कर सकेंगे।