एक दिन हिजाब पहनने वाली लड़की बनेगी देश की प्रधानमंत्री- असदुद्दीन ओवैसी
कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद के बीच हैदराबाद से सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि एक दिन हिजाब पहनने वाली लड़की भारत की प्रधानमंत्री बनेगी। एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शायद वो ये देखने के लिए जिंदा न रहें, लेकिन एक दिन ऐसा जरूर होगा। उन्होंने कहा कि हिजाब पहनने वाली लड़कियां कॉलेज जाकर जिलाधिकारी, मजिस्ट्रेट, डॉक्टर, कारोबारी और बहुत कुछ बनेंगी।
ओवैसी ने क्या कहा?
अपने समर्थकों की रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, "हम अपनी बेटियों को इंशा'अल्लाह, अगर वो ये फैसला करती हैं कि अब्बा-अम्मी मैं हिजाब पहनूंगी तो अम्मा-अब्बा बोलेंगे- बेटा पहन, तुझे कौन रोकता है हम देखेंगे। हिजाब, नकाब पहनेंगे, कॉलेज जाएंगे, कलेक्टर भी बनेंगे, SDM भी बनेंगे, बिजनेसमैन भी बनेंगे और एक दिन...शायद में जिंदा नहीं रहूंगा, तुम देखना एक दिन एक बच्ची हिजाब पहनकर इस देश की प्रधानमंत्री बनेगी।" ओवैसी ने ये बयान खुद ट्वीट किया है।
कर्नाटक में कक्षा में हिजाब पहनने को लेकर चल रहा है विवाद
ओवैसी का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर विवाद चल रहा है। इस विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने से हुई थी। इसके बाद छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। कई छात्र इसके विरोध में उतर आए और यह विवाद उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैल गया।
कर्नाटक हाई कोर्ट में पहुंचा मामला, फैसला आने तक धार्मिक ड्रेस न पहनने का निर्देश
मामला कोर्ट में भी पहुंचा है और पांच मुस्लिम छात्रों ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने मामले को तीन जजों वाली बड़ी बेंच को रेफर कर दिया है जो अब इस मामले पर सुनवाई कर रही है। गुरूवार को मामले पर अंतरिम निर्देश जारी करते हुए इस बेंच ने कहा कि उसका फैसला आने तक छात्र स्कूल-कॉलेज में धार्मिक ड्रेस पहनने की जिद न करें और शैक्षणिक संस्थानों को तुरंत खोला जाए।
सुप्रीम कोर्ट का मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार
मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं दायर की गई हैं और मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना की बेंच से इन पर जल्द सुनवाई करने की अपील की गई है। हालांकि बेंच ने मामले में दखल देने से इनकार करते हुए कहा है कि मामले में हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि वह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए ही बैठी है, लेकिन अभी हस्तक्षेप करना जल्दबाजी होगा।