
नए वक्फ कानून में संपत्ति दान करने के लिए क्यों करना होगा 5 साल का इंतजार?
क्या है खबर?
वक्फ संशोधन विधेयक ने गत 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के साथ कानून का रूप ले लिया।
इसमें एक अहम प्रावधान यह है कि 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति ही वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति दान कर सकता है। विरोधी इसी प्रावधान को लेकर इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं।
ऐसे में आइए जानते हैं यह प्रावधान क्या है और इसे कानून में क्यों शामिल किया गया है।
कानून
वक्फ संशोधन विधेयक कैसे बना कानून?
2 अप्रैल को लोकसभा में विधेयक पर बहस हुई थी। 3 अप्रैल को तड़के 1 बजे वोटिंग में विधेयक के समर्थन में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े थे।
उसके बाद 3 अप्रैल को राज्यसभा में बहस हुई और 4 अप्रैल को तड़के 2 बजे वोटिंग में विधेयक के समर्थन में 128 और विरोध में 95 वोट आए।
इसके बाद पारित विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया, जिसे 5 अप्रैल को मंजूरी मिल गई।
प्रावधान
कानून में क्या है 5 साल का मुस्लिम प्रावधान?
नए वक्फ कानून में प्रावधान है कि अन्य कोई धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाने वाले किसी भी व्यक्ति को अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड को दान करने से पहले 5 साल का इंतजार करना होगा।
इसका मतलब है कि अब दूसरे धर्म का कोई भी व्यक्ति इस्लाम धर्म अपनाते ही अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड को दान नहीं कर पाएगा।
इसके लिए उसे 5 साल तक इस्लाम धर्म का नियमों के अनुसार पालन करना होगा। उसके बाद वह दान करने का पात्र होगा।
कारण
कानून में क्यों किया गया है यह प्रावधान?
इस प्रावधान या कानून के नियमों को लेकर अभी आधिकारिक अधिसूचना नहीं आई है, लेकिन वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सदस्य रहे एक भाजपा सांसद ने इसे स्पष्ट किया है।
इंडिया टुडे के अनुसार, उन्होंने कहा कि यह प्रावधान जन्म से मुस्लिम लोगों पर लागू नहीं होगा। इसका उद्देश्य इस्लाम में धर्मांतरित लोगों को यह समझने के लिए पर्याप्त समय देना है कि वह क्या कर रहे हैं और जल्दबाजी में तो फैसला नहीं कर रहे हैं।
धर्म
संपत्ति के लिए कराया लोगों का धर्म परिवर्तन
JPC में शामिल अन्य भाजपा सांसद ने बताया कि 5 साल की प्रतीक्षा अवधि यह सुनिश्चित करेगी कि केवल वे लोग ही वक्फ में दान कर रहे हैं जिन्होंने वास्तव में इस्लाम स्वीकार किया है और नए धर्मांतरित लोगों को धोखा नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में कई उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें लोगों का धर्म परिवर्तन केवल उनकी संपत्ति हासिल करने के लिया किया गया था। 5 वर्ष एक व्यावहारिक प्रतीक्षा अवधि है।
जानकारी
वक्फ दान को आरोपों से मुक्त करना चाहती है सरकार
कानून के समर्थकों का मानना है कि सरकार 5 साल की प्रतीक्षा अवधि के प्रावधान के जरिए वक्फ दान को जबरदस्ती और अनुचित प्रभाव के आरोपों से मुक्त करने के साथ रातोंरात भूमि को वक्फ संपत्ति में बदलने पर भी रोक लगाना चाहती है।
अन्य
कानून में यह प्रावधान शामिल करने का अन्य कारण?
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में बताया था कि वक्फ अधिनियम 1995 के तहत केवल मुसलमान ही वक्फ दान कर सकते थे, जिसे 2013 में संशोधन करके बदल दिया गया। उसके तहत कोई भी भारतीय वक्फ बोर्ड को संपत्ति दान कर सकता है। उसके बाद से वक्फ की संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई।
रिजिजू ने कहा कि अब सरकार ने 5 वर्ष की सीमा लगाकर 1995 के प्रावधान को ही बहाल करने का काम किया है।
पहचान
कैसे होगी 5 साल से मुस्लिम बने रहने वालों की पहचान?
कानून को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौतियों में इस प्रावधान पर भी सबसे ज्यादा सवाल खड़े किए गए हैं।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि सरकार ऐसे मुसलमानों की पहचान कैसे करेगी जो 5 साल से इस धर्म का पालन कर हैं।
इस पर स्पष्टता सरकार द्वारा विस्तृत नियम जारी करते समय दी जाएगी।
हालांकि, JPC सदस्य की माने तो इसकी पहचान आधिकारिक दस्तावेजों से की जाएगी और इसके लिए आवश्यक नियम और दस्तावेज तय किए जा रहे हैं।
नियम
कब अधिसूचित होंगे वक्फ कानून के नियम?
विशेषज्ञों के अनुसार, कानून या अधिनियम संसद द्वारा बनाए जाते हैं, लेकिन इसकी पालना के लिए नियम का मसौदा तैयार किया जाता और फिर उसे अधिसूचित किया जाता है।
हालांकि, कई बार इसमें कई दिनों से लेकर सालों तक का समय भी लग जाता है।
इसका एक उदाहरण नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) है, जिसे 2019 में विरोध प्रदर्शनों के बीच लागू किया गया था। हालांकि, इसके नियमों को 5 साल बाद 2024 में अधिसूचित किया गया था।