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    #NewsBytesExplainer: ED-CBI के निशाने पर थीं चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली आधी शीर्ष कंपनियां, जानें कौन-कौन शामिल
    चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कई कंपनियां ED-CBI के निशाने पर थी

    #NewsBytesExplainer: ED-CBI के निशाने पर थीं चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली आधी शीर्ष कंपनियां, जानें कौन-कौन शामिल

    लेखन आबिद खान
    Mar 15, 2024
    06:27 pm

    क्या है खबर?

    भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी दे दी है।

    इसमें सामने आया है कि करोड़ों रुपये के चुनावी बॉन्ड दान करने वाली कई कंपनियां ऐसी हैं, जो केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर थीं।

    चंदा देने वाली शीर्ष 30 में से आधी से ज्यादा कंपनियां प्रवर्तन निदेशालय (ED) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की कार्रवाई का सामना कर रही थी।

    आइए ऐसी कंपनियों के बारे में जानते हैं।

    फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज

    फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज

    फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने सबसे ज्यादा 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। इसके मालिक दक्षिण भारत के लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन हैं।

    मई, 2019 में कंपनी पर छापे पड़े थे। इसके एक साल बाद कंपनी ने चुनावी बॉन्ड खरीदे।

    कंपनी पर 2 अप्रैल, 2022 को भी ED का छापा पड़ा था। इसके 5 दिन बाद कंपनी ने 100 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे।

    तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के दौरान भी कंपनी की तरफ से चुनावी बॉन्ड खरीदे गए।

    मेघा इंजीनियरिंग

    मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड

    मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने 966 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। 12 अप्रैल, 2019 से कंपनी ने बॉन्ड खरीदने शुरू किए और एक दिन में ही एक करोड़ की कीमत वाले कई बॉन्ड खरीदे।

    2019 में कंपनी पर आयकर विभाग ने छापा मारा था, जिसके बाद ED ने भी जांच शुरू की थी। इसके अगले ही साल कंपनी ने करीब 50 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे।

    वेदांता समूह

    वेदांता समूह

    अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह बॉन्ड का 5वां सबसे बड़ा खरीदकर्ता है। उसने 376 करोड़ रुपये के बांड खरीदे हैं।

    2018 में ED ने दावा किया था कि उसके पास रिश्वत लेकर चीनी नागरिकों को वीजा देने के मामले में वेदांता समूह के खिलाफ सबूत हैं। इसके बाद 16 अप्रैल, 2019 को समूह ने 39 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे।

    2022 में भी ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समूह के ठिकानों पर छापेमारी की थी।

    हल्दिया इंजीनियरिंग लिमिटेड

    हल्दिया इंजीनियरिंग लिमिटेड और यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल

    हल्दिया इंजीनियरिंग लिमिटेड ने 377 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। कंपनी पर साल 2020 में CBI की कार्रवाई हुई थी।

    हैदराबाद स्थित यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की ओर से 162 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड खरीदे गए हैं।

    कंपनी पर साल 2020 में आयकर विभाग का छापा पड़ा था। इसके एक साल बाद यानी 2021 में कंपनी ने चुनावी बॉन्ड खरीदे। कंपनी ने 10 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष चंदा भी भाजपा को दिया था।

    जिंदल स्टील 

    DLF कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड और जिंदल स्टील

    CBI ने 2019 में जमीन आवंटन में अनियमितता मामले में DLF कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड पर कार्रवाई की थी। 2023 में ED ने भी कंपनी पर छापा मारा था। इसके बाद कंपनी ने 130 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे।

    जिंदल स्टील एंड पावर ने 123 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। ED ने अप्रैल, 2022 में विदेशी मुद्रा उल्लंघन के संबंध में कंपनी और उसके प्रमोटर नवीन जिंदल के परिसरों पर छापा मारा था।

    कंपनियां

    बॉन्ड खरीदने वाली और किन कंपनियों पर पड़े छापे?

    2018 में आयकर विभाग ने रित्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड पर छापा मारा था, जिसने 45 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं।

    दिल्ली शराब घोटाले में फंसी अरबिंदो फार्मा ने भी 49 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। ED ने कंपनी के निदेशक पी सरथ रेड्डी को नवंबर, 2022 में गिरफ्तार किया था।

    इसके अलावा 64 करोड़ के बॉन्ड खरीदने वाली रश्मि सीमेंट और 40 करोड़ के बॉन्ड खरीदने वाली शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल्स भी जांच एजेंसियों के निशाने पर थीं।

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