सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड पर सुनवाई शुरू, संवैधानिक पीठ के सामने मामला
चुनावी बॉन्ड की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज 31 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे हैं। पीठ में उनके अलावा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं। राजनीतियों पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने चुनावी बॉन्ड को चुनौती दी है।
क्या है चुनावी बॉन्ड?
केंद्र सरकार ने वित्त विधेयक, 2017 में चुनावी बॉन्ड शुरू करने का ऐलान किया, जिन्हें 2 जनवरी, 2018 में अधिसूचित किया गया। इन्हें भारतीय स्टेट बैंक (SBI) जारी करता है और ये ब्याज मुक्त होते हैं। बॉन्ड खरीदने वालों को 15 दिन के अंदर अपनी मनपसंद राजनीतिक पार्टी को ये देने होते हैं। पार्टी अपने सत्यापित खाते में उन्हें प्राप्त चुनावी बॉन्ड्स को कैश करा सकती है। इसमें ये पता नहीं चल पाता कि किस पार्टी को किससे चंदा मिला।
मामले में याचिकाकर्ताओं का क्या कहना है?
मामले में 4 जनहित याचिकाएं लंबित हैं। इनमें एक याचिकाकर्ता ने बताया है कि चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को अब तक 12,000 करोड़ रुपये मिले हैं, जिसकी दो-तिहाई राशि एक प्रमुख पार्टी के पास गई है। याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के जरिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है और नागरिकों के अधिकारों का हनन हो रहा है।