
केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तमिलनाडु, फंड रोकने का लगाया आरोप
क्या है खबर?
तमिलनाडु की सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
इसमें तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार समग्र शिक्षा योजना के तहत राज्य को मिलने वाली करीब 2,200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी नहीं कर रही है।
तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार पर हिंदी भाषा को अनिवार्य रूप से लागू करने का आरोप लगाया।
राज्य सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत ये याचिका दायर की है।
याचिका
याचिका में क्या कहा गया है?
तमिलनाडु ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और प्रधानमंत्री श्री स्कूल योजना को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए धन का इस्तेमाल कर रही है।
याचिका में 2,291 करोड़ रुपये की रिकवरी की अपील की गई है। साथ ही इसपर 6 प्रतिशत दर से ब्याज के भुगतान की मांग भी की गई है।
याचिका में कहा गया है कि NEP और पीएम श्री स्कूल योजना बाध्यकारी नहीं है।
आरोप
तमिलनाडु सरकार ने केंद्र पर लगाए ये आरोप
तमिलनाडु ने कहा कि केंद्र सरकार फंड को रोककर राज्य को 3-भाषा फॉर्मूला अपनाने और NEP लागू करने के लिए बाध्य कर रही है।
तमिलनाडु ने केंद्र पर संघवाद का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि समग्र शिक्षा योजना और पीएम श्री स्कूल योजनाओं को जोड़ा नहीं जा सकता।
तमिलनाडु ने कहा कि NEP-2020 और पीएम श्री स्कूल योजना तब तक लागू नहीं होती, जब तक केंद्र और राज्य सरकार के बीच लिखित समझौता नहीं हो जाता।
विवाद
3-भाषा नीति को लेकर क्या है विवाद?
NEP की 3-भाषा नीति में बच्चों को 3 भाषा सीखनी होगी। इसमें केंद्र सरकार दूसरी भाषा के लिए हिंदी को प्रोत्साहित करती है, जिसका तमिलनाडु विरोध कर रहा है।
दरअसल, तमिलनाडु में ऐतिहासिक रूप से '2-भाषा' नीति रही है। इसका मतलब है कि यहां तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है।
वैसे भी तमिलनाडु में हिंदी विरोध की ऐतिहासिक वजहें रही हैं। 1930 और 1960 के दशक में तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर हिंदी विरोधी आंदोलन हो चुके हैं।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया है।
अनुच्छेद 131 के तहत राज्य सरकार को यह अनुमति होती है कि वो कानूनी या संवैधानिक अधिकारों से जुड़े विवादों में केंद्र सरकार को कानूनी रूप से चुनौती दे सकती है।
इसके तहत, केंद्र और राज्य या 2 या कई राज्यों के बीच कानूनी मुद्दों पर विवाद में सुप्रीम कोर्ट को मूल अधिकारिता प्राप्त है।