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    आखिर तमिलनाडु सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्यों विरोध कर रही है?
    तमिलनाडु अलग से खुद की शिक्षा नीति तैयार करेगा

    आखिर तमिलनाडु सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्यों विरोध कर रही है?

    लेखन तौसीफ
    Nov 04, 2021
    10:40 am

    क्या है खबर?

    तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि राज्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 नहीं लागू की जाएगी।

    मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने यह बात राज्य में इल्लम थेडी काल्वी योजना को लागू करते हुए कही। इस योजना का उद्देश्य महामारी के दौरान बच्चों की शिक्षा में हुए नुकसान की भरपाई करना है।

    एमके स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार एक राज्यस्तरीय कमेटी का गठन करेगी। यह कमेटी राज्य के लिए अलग से खुद की शिक्षा नीति तैयार करेगी।

    विरोध

    तमिलनाडु सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्यों विरोध कर रही है?

    तमिलनाडु में पिछले साल से ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध जारी है।

    शिक्षा नीति 2020 में तीन भाषा का प्रावधान होना इसकी मुख्य वजह बताई जाती है।

    तमिलनाडु सरकार राज्य में दो भाषा (तमिल और अंग्रेजी) की नीति लेकर चलना चाहती है।

    राज्य की तत्कालीन अन्नाद्रमुक की पलानीस्वामी सरकार ने भी इस नीति का विरोध किया था और स्टालिन की द्रमुक ने भी शुरू से ही इस नीति के खिलाफ अधिक कठोर रुख अपनाया हुआ है।

    खिलाफ

    विपक्षी नेता के रूप में स्टालिन ने NEP के खिलाफ क्या बातें कहीं थीं?

    विपक्ष में रहते हुए तत्कालीन विपक्षी नेता स्टालिन का तर्क था कि केंद्र द्वारा NEP की सिफारिशें सिर्फ समाज में बैठे ऊंचे ओहदे के लोगों के लिए हैं और यह शिक्षा सिर्फ कुछ वर्गों तक ही सीमित रहेगी।

    विपक्षी नेता के रूप में स्टालिन ने तमिल और अन्य भाषाओं के ऊपर संस्कृत को दी जाने वाली तरजीह पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने तब राज्य से NEP के खिलाफ एक प्रस्ताव अपनाने की भी मांग की थी।

    कारण

    द्रमुक ने NEP का विरोध करने के क्या मुख्य कारण बताया?

    द्रमुक से राज्यसभा सांसद और पार्टी की कानूनी विंग में एक प्रमुख चेहरा माने जाने वाले पी विल्सन का कहना है कि पूरे देश में एक समान शिक्षा नीति लागू करने का जो केंद्र ने प्रयास किया है वह "संविधान से धोखाधड़ी" के अलावा और कुछ नहीं था।

    विल्सन ने बताया कि NEP के विरोध का मुख्य कारण यह है कि यह राज्य के शिक्षा जैसे एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में हस्तक्षेप करता है।

    रूख

    सत्ता में आने के बाद स्टालिन सरकार का क्या रूख है?

    सत्ता में आने के बाद द्रमुक सरकार ने NEP के खिलाफ अपना रुख दोहराया। मई में राज्य के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने NEP, 2020 पर चर्चा के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा बुलाई गई वर्चुअल बैठक में भाग नहीं लिया था।

    तमिलनाडु उच्च शिक्षा मंत्री अंबिल महेश ने बैठक में भाग नहीं लेने का कारण बताते हुए कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने NEP पर तमिलनाडु द्वारा भेजे गए पत्र का जवाब नहीं दिया इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया था।

    साजिश

    द्रमुक नेता ने NEP को बताया RSS की साजिश

    पी विल्सन ने कहा कि यह नीति ऐसे लोगों द्वारा बनाई गयी है जिनके पास न तो दूरदृष्टि थी और न ही सामाजिक न्याय के बारे में कोई प्राथमिक समझ।

    द्रमुक नेता ने इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का प्लान बताते हुए कहा कि संघ इस नीति का उपयोग पिछले दरवाजे से प्रवेश के लिए कर रहा है ताकि हमारी मातृभाषा, सांस्कृतिक विविधता और एक भारत की विवधता को मिटा सके।

    जानकारी

    NEP के बारे में कुछ अहम बातें

    केंद्र सरकार ने साल 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी थी।

    इस दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया था।

    इस नीति में सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक ही नियामक रखने और MPhil को खत्म करने का फैसला किया गया था।

    नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में बनाई गई थी।

    बता दें कि NEP 1986 में ड्राफ्ट हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन किया गया था।

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