
#NewsBytesExplainer: 'वक्फ बाय यूजर' क्या होता है और वक्फ कानून में इसे लेकर क्या विवाद है?
क्या है खबर?
वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस दौरान अनुच्छेद 26, धार्मिक अधिकार समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
हालांकि, सबसे ज्यादा चर्चा 'वक्फ बाय यूजर' को लेकर हुई। कोर्ट ने कानून में इस प्रावधान को हटाने पर चिंता जताई और केंद्र से जवाब मांगा।
कोर्ट ने कहा कि इससे हजारों सालों से चली आ रही धार्मिक संपत्तियों का दर्जा खत्म हो सकता है।
आइए जानते हैं 'वक्फ बाय यूजर' क्या होता है।
प्रावधान
क्या होता है 'वक्फ बाय यूजर'?
'वक्फ बाय यूजर' का मतलब ऐसी संपत्ति से है, जिसका कोई औपचारिक दस्तावेज नहीं है। हालांकि, ये संपत्तियां लंबे समय से धार्मिक कार्यों के लिए इस्तेमाल हो रही हैं, इसलिए इन्हें 'वक्फ बाय यूजर' के तहत वक्फ संपत्ति माना जाता है।
यानी व्यक्ति उस संपत्ति का उपयोग धार्मिक कार्यों के लिए करता है, लेकिन उसका मालिकाना हक सरकार को स्थानांतरित नहीं करता है। ऐसी संपत्ति का कोई शख्स कानूनी तौर पर मालिक नहीं रहता, लेकिन इस्तेमाल करता रहता है।
कोर्ट
कोर्ट ने 'वक्फ बाय यूजर' को लेकर क्या कहा?
कोर्ट ने कहा, "अगर दस्तावेज नहीं है तो क्या वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी। आप ऐसे वक्फ को कैसे पंजीकृत करेंगे? कौन से दस्तावेज होंगे? इनमें बहुत सी वास्तविक संपत्तियां हैं, जिन्हें अदालतों ने मान्यता दी है। हमने प्रिवी काउंसिल के फैसलों को भी पढ़ा है। 'वक्फ बाय यूजर' को मान्यता दी गई है। अगर आप इसे पहले की तरह करते हैं तो यह एक समस्या होगी। विधायिका किसी निर्णय, आदेश या डिक्री को शून्य घोषित नहीं कर सकती।"
दलील
'वक्फ बाय यूजर' के विरोध में क्या दलील दी गई?
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, "'वक्फ बाय यूजर' एक महत्वपूर्ण आधार है, जिसके तहत किसी संपत्ति को वक्फ माना जाता है। मान लीजिए मेरे पास एक जमीन है और मैं उस पर एक अनाथालय बनाता हूं तो इसमें क्या दिक्कत है? यह मेरी जमीन है और मैं इसे सामाजिक उद्देश्य के लिए उपयोग कर रहा हूं। फिर सरकार इसके पंजीकरण की जिद क्यों कर रही है?"
सरकार
'वक्फ बाय यूजर' के समर्थन में सरकार ने क्या दलील दी?
सरकार ने कहा कि कानून पंजीकरण की अनिवार्यता इसलिए करता है, ताकि धोखाधड़ी के दावों को रोका जा सके। इसके लिए वक्फ डीड का होना आवश्यक माना गया है।
हालांकि, इस पर सिब्बल ने कहा, "यह व्यावहारिक नहीं है। कई वक्फ संपत्तियां सैकड़ों साल पुरानी हैं। सरकार अब कैसे अपेक्षा कर सकती है कि लोग 300 साल पुराने दस्तावेज लेकर आएं?"
इस पर कोर्ट ने कहा, "यह बड़ा मुद्दा है और इस पर और सुनवाई किए जाने की जरूरत है।"
संपत्ति
देश में 'वक्फ बाय यूजर' के तहत कितनी संपत्ति है?
वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जो 38 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली हुई हैं। इनमें से 4.02 लाख संपत्तियां 'वक्फ बाय यूजर' के रूप में है।
इनमें 1,50,516 कब्रिस्तान और 1,19,200 मस्जिदें शामिल हैं। इसके अलावा व्यावसायिक संपत्तियां जैसे 1,13,187 दुकानें और 92,505 घर भी हैं। वहीं, 1,40,784 कृषि भूमि और 33,492 दरगाह और मजार जैसे धार्मिक स्थल शामिल हैं।
कानून
नए कानून में 'वक्फ बाय यूजर' को लेकर क्या प्रावधान है?
नए कानून के तहत, केवल इस आधार पर किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा कि वहां लंबे समय से धार्मिक काम होते हैं।
अब किसी भी तरह के नए वक्फ बनाने के लिए संपत्ति से जुड़े कानूनी दस्तावेज दिखाने होंगे। यानी नए कानून में 'वक्फ बाय यूजर' के प्रावधान को ही खत्म कर दिया गया है।
आलोचकों का कहना है कि इससे हजारों संपत्तियां अवैध हो जाएंगी।