स्थानीय भाषाओं में जल्द शुरू होंगे प्रोफेशनल कोर्स- केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
क्या है खबर?
केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 16 नवंबर को शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर समीक्षा बैठक की।
बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने प्राफेशनल एजुकेशन में स्थानीय भाषाओं के एकीकरण और स्थानीय भाषाओं में प्रोफेशनल एजुकेशन देने पर जोर दिया।
प्रधान ने बताया कि स्थानीय भाषाओं में व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने पर टास्क फोर्स की रिपोर्ट की समीक्षा की।
बैठक
NEP पर विचार-विमर्श के लिए शिक्षा मंत्री ने की बैठक
बैठक के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट कर कहा, 'केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की स्थिति की समीक्षा की। नई शिक्षा नीति से जुड़ी कई पहल पहले ही शुरू की जा चुकी हैं, जिनमें और भी बहुत कुछ शामिल है। इसके साथ ही NEP को आगे किस तरीके से लागू किया जा सकता है इस पर भी चर्चा की।'
NEP
NEP 21वीं सदी के भारत की नींव रखेगा- धर्मेंद्र प्रधान
प्रधान ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'NEP2020 21वीं सदी के भारत की नींव रखेगा। भविष्य की दृष्टि, स्थानीय जुड़ाव और वैश्विक दृष्टिकोण के साथ, हम NEP के दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने और एक अधिक बेहतर शिक्षा का माहौल विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।'
बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव रजनीश जैन ने 2 नवंबर को विश्वविद्यालयों को उनकी शिक्षण सामग्री और साहित्य को भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का आदेश दिया था।
भाषा
13 स्थानीय भाषाओं में आयोजित हुई थी JEE परीक्षा
बता दें कि इस वर्ष, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा- JEE मेन 2021 को 13 स्थानीय भाषाओं में आयोजित किया गया था, जिसमें असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मराठी, मलयालम, ओडिया, पंजाबी, तमिल और तेलुगु शामिल हैं।
जबकि मेडिकल प्रवेश- नीट 2021 को 11 स्थानीय भाषाओं में आयोजित किया गया था। इनमें असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू आदि शामिल हैं।
फॉर्मूला
NEP में तीन-भाषा फॉर्मूला क्या है?
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति सुझाव देती है कि अब सभी छात्र अपने स्कूलों में इस 'फॉर्मूले' के तहत तीन भाषाएं सीखेंगे। इन तीन भाषाओं में से दो भाषाएं मूलत: भारत की होनी चाहिए।
उदाहरण के लिए, मुंबई में अगर छात्र मराठी और अंग्रेजी सीख रहा है, तो उसे तीसरी भाषा कोई भारतीय पढ़नी होगी।
भाषा का चुनाव राज्य और छात्रों पर निर्भर करेगा।
सरकार ने अपने बयान में कहा है कि किसी भी छात्र पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी।