कृषि कानून: सरकार और किसानों के बीच आज फिर होगी बातचीत
तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध का हल निकालने के आज फिर से बैठक होगी। सरकार और किसानों के बीच यह नवें दौर की औपचारिक बातचीत होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई चार सदस्यीय समिति में शामिल भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इससे अलग कर लिया है। वहीं किसान कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े हैं।
अब तक नहीं बनी है बात
आंदोलन का आज 52वां दिन है। किसानों और सरकार के बीच आखिरी बार 8 जनवरी को बातचीत हुई थी। किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार का कहना है कि वह कानूनों में संशोधन को तैयार है, लेकिन ये रद्द नहीं होंगे। नवंबर से प्रदर्शन कर रहे किसानों को सरकार ने कानूनों में संशोधन का लिखित प्रस्ताव भेजा था, लेकिन किसानों ने ठुकरा दिया। ऐसे में दोनों के बीच अभी गतिरोध जारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने गठित की है चार सदस्यीय समिति
इससे पहले गत 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने अगले आदेश तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने जमीनी स्थिति समझने के लिए एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। इससे पहले 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कानूनों के अमल पर रोक लगाने को कहा था और अगले दिन खुद ही रोक लगा दी।
समिति में इन सदस्यों को किया गया था शामिल
सुप्रीम कोर्ट ने इस समिति में भूपिंदर सिंह मान के अलावा अंतरराष्ट्रीय नीति संस्थान के प्रमुख डॉ प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और शेतकारी संगठन के अनिल घनवट को शामिल किया था, लेकिन किसान इसका विरोध कर रहे थे।
मान किया समिति से खुद को अलग करने का ऐलान
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति में शामिल भूपिंदर सिंह ने किसानों के विरोध को देखते हुए गुरुवार को खुद को समिति से अलग कर लिया था। उन्होंने कहा था कि एक किसान और यूनियन नेता होने के कारण किसान संगठनों और आम लोगों की शंकाओं को देखते हुए वो किसी भी पद को त्यागने के लिए तैयार हैं। वह पंजाब और किसानों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे। इसके बाद BKU में उनको लेकर बढ़ा गुस्सा थोड़ा शांत हो गया था।
शुरुआत से ही उठ रहे हैं समिति पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस समिति के गठन के बाद से ही इस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, मान समेत समिति में शामिल चारों सदस्य तीन नए कृषि कानूनों का खुले तौर पर समर्थन कर चुके हैं। ऐसे में प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बाकी लोगों ने भी समिति पर सवाल खड़े किए थे। इनका कहना था कि जब समिति के सभी सदस्य कानूनों का समर्थन कर चुके हैं, तो उन्हें इनके निष्पक्ष रहने पर संदेह है।
किसान नेताओं ने की मान के निर्णय की सराहना
BKU के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और किसान नेता गुरनाम सिंह चादुनी ने मान के समति से अलग होने के निर्णय की सराहना की है। उन्होंने इसे आंदोलन की वैचारिक जीत बताया तथा मान को किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
सरकार खुले दिमाग से वार्ता के लिए है तैयार- तोमर
किसानों के साथ होने वाली बैठक को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार खुले दिमाग के साथ किसान नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। इधर, किसान यूनियनों का कहना है कि वो सरकार के साथ निर्धारित वार्ता में भाग लेने के लिए तैयार थे, लेकिन उन्हें इसमें समाधान निकलने की ज्यादा उम्मीद नहीं है। वह विवादास्पद कृषि कानूनों के निरस्त कराने से पीछे नहीं हटेंगे और सरकार इस पर तैयार नहीं है।
किसानों के समर्थन में आज 'किसान अधिकार दिवस' मनाएगी कांग्रेस
इधर, किसानों के समर्थन में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियां खुलकर आ गई है। शुक्रवार को कांग्रेश ने देशभर में 'किसान अधिकार दिवस' आयोजित करने की घोषणा की है। इसके तहत सभी राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ता राजभवन तक मार्च निकालकर घेराव करेंगे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी राजधानी दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विरोध मार्च का नेतृत्व करेंगे। भाजपा शासित राज्यों में सरकार ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
किसानों के विरोध की वजह क्या है?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।