किसानों और सरकार के बीच बेनतीजा रही बैठक, गुरुवार को फिर होगी वार्ता
क्या है खबर?
नए कृषि कानूनों सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के 35 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल और सरकार के बीच मंगलवार दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई वार्ता बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। इससे सरकार और किसानों के बीच अभी भी गतिरोध बना हुआ है।
सरकार ने किसानों को मामले को सुलझाने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसान नेताओं ने उसे ठुकरा दिया। अब गुरुवार को अगले दौर की वार्ता होगी।
वार्ता
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ ये मंत्री भी हुए वार्ता में शामिल
केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सोम प्रकाश और पीयूष गोयल ने दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान नेताओं से वार्ता की। किसानों की ओर से 36 सदस्य पहुंचे थे।
इनमें 32 प्रतिनिधि पंजाब के विभिन्न किसान संगठन, दो हरियाणा और एक उत्तर प्रदेश से थे। हालांकि, स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव भी वार्ता के लिए पहुंचे थे, लेकिन सरकार के आपत्ति जताने पर उन्होंने बैठक में नहीं शामिल होने का निर्णय किया।
प्रस्ताव
सरकार कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए समिति बनाने का दिया सुझाव
बैठक में किसान प्रतिनिधि ने नए कृषि कानून वापस लेने की मांग की। इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि चार-पांच नाम अपने संगठन से दीजिए, एक समिति बना देते हैं। जिसमे सरकार के लोग और कृषि विशेषज्ञ भी होंगे। यह समिति नए कृषि कानूनों पर चर्चा करेगी, लेकिन किसान संगठनों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
बैठक के बाद BKU (एकता उग्राहन) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने बैठक के बेनतीजा होने की बात कही।
बयान
मत कीजिए हमारा भला- किसान प्रतिनिधि
एक किसान प्रतिनिधि ने कहा, "आप लोग ऐसा कानून लाए हैं जिससे हमारी जमीने बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे, आप कॉरपोरेट को इसमे मत लीजिए। आप कहते हैं कि आप किसानों का भला करना चाहते हैं, हम कह रहे हैं कि आप हमारा भला मत कीजिए।"
बयान
किसानों को किया समझाने का प्रयास- कृषि मंत्री
बैठक के खत्म होने के बाद कृषि मंत्री तोमर ने कहा, "हमने किसानों को आश्वासन देने की कोशिश की। हमने उन्हें बहुत समझाने का भी प्रयास किया, लेकिन वह सरकार के प्रस्ताव से सहमत नहीं हुए। ऐसे में बैठक बेनतीजा रही है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम 3 दिसंबर को दोपहर 12 बजे फिर से अगले दौर की बातचीत करेंगे। सरकार किसानों से आंदोलन खत्म करने की मांग करती है।" वहीं, किसानों ने कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा।"
परेशानी
नए कृषि कानूनों से किसानों को क्या है परेशानी?
बता दें कि नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार ने बार-बार कहा है कि कानून किसानों को बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करने के लिए बनाए गए हैं। इससे उन्हें धोखें से भी सुरक्षा मिलेगी।
हालांकि, किसानों को डर है कि कृषि उत्पादन विपणन समिति (APMC) की मंडियों के नए कानूनों के लागू होने के बाद वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से वंचित रह जाएंगे। उन्हें यह डर है कि इससे बड़े व्यापारी उनका जमकर शोषण करना शुरू कर देंगे।
चेतावनी
किसानों ने कानूनों को वापस नहीं लेने पर दी है उग्र आंदोलन की चेतावनी
किसान संगठनों की मांग है कि सरकार नए कृषि कानूनों को निरस्त कर दें। यदि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो उनका आंदोलन लंबा चलेगा। उन्होंने आंदोलन को लेकर दो महीने की योजना भी तैयार कर रखी है।
इसी तरह कुछ किसानों ने सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी पर लिखित आश्वासन भी मांगा है। किसानों ने रविवार को दिल्ली में पांच प्रवेश बिंदुओं सोनीपत, रोहतक, जयपुर, गाजियाबाद-हापुड़ और मथुरा को रोकने की चेतावनी दी थी।
सरकार का रुख
सरकार के कानूनों को निरस्त करने की संभावना नहीं
हालांकि, सूत्रों ने NDTV को बताया कि सरकार द्वारा कानूनों को निरस्त करने की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार केवल बातचीत के दौरान MSP पर आश्वासन दे सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी पर अडिग नजर आ रहे हैं। उन्होंने सोमवार को वाराणसी में भी कहा कि नए कानूनों से किसानों को अधिक असवर और अधिकर मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग आशंकाओं के आधार पर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं।
वार्ता
किसानों और सरकार के बीच हुई तीसरे दौर की वार्ता
नए कृषि कानूनों को लेकर हरियाणा और पंजाब में पिछले कई महीनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच किसान और सरकार के बीच यह तीसरे दौर की वार्ता हुई है।
पहली बैठक अक्टूबर के मध्य में कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई थी। इसी तरह दूसरे दौर की बैठक कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई थी।
दोनों ही बैठकों में नजीता नहीं निकल सका था और आंदोलन जारी रहा।