कभी भी कानून का हिस्सा नहीं था न्यूनतम समर्थन मूल्य, अभी भी नहीं है- कृषि मंत्री
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप से बाध्य करने की विपक्ष और किसानों की मांग के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि यद्यपि सरकार किसानों को MSP प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन ये कभी भी कानून का हिस्सा नहीं था और न ही आज है। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब वे सत्ता में थे, तब उन्होंने MSP को कानून में शामिल क्यों नहीं किया।
MSP को कानूनी तौर पर अनिवार्य करने की मांग कर रहे हैं किसान और विपक्ष
कृषि विधेयकों का विरोध कर रहे किसानों और विपक्षी पार्टियों का मुख्य आरोप है कि मोदी सरकार इन विधेयकों के जरिए सरकारी मंडियों और MSP की व्यवस्था को खत्म करना चाहती है। अपनी इस आशंका को दूर करने के लिए ही वे मांग कर रहे हैं कि सरकार एक कानून लाकर MSP को कानूनी तौर पर बाध्य बना दे, ताकि सरकारी मंडियों से बाहर फसल बेचने पर भी उन्हें MSP मिल सके।
कृषि मंत्री ने दिया विपक्ष को जबाव
बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम में इन आरोपों को जबाव देते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, "आपके जरिए मैं विपक्ष के लोगों को बताना चाहता हूं कि आप सभी इतने सालों तक सरकार में रहे हैं, अगर MSP के लिए कानून आवश्यक था तो आपने ये क्यों नहीं बनाया?... MSP कानून का अंग पहले भी नहीं था और MSP कानून का अंग आज भी नहीं है।"
MSP के ही हिसाब से होती है खरीद- तोमर
MSP पर विपक्ष की मांगों को न मानने का संकेत देते हुए तोमर ने कहा, "MSP भारत सरकार का एक प्रशासनिक फैसला होता है और MSP के हिसाब से ही खरीद हो रही है। मोदी सरकार ने लागत में 50 प्रतिशत लाभ के साथ MSP घोषित करना शुरू किया था।" उन्होंने कहा, "हमने फसल बोने से पहले रबी की MSP घोषित कर दी है, वहीं कुछ दिन में आने वाली खरीफ फसल को MSP पर खरीदा जाएगा।"
"प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि MSP जारी रहेगा"
कृषि विधेयकों का समर्थन करते हुए तोमर ने कहा, "प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि MSP जारी रहेगा तो फिर किसी को चिंता करने की क्या जरूरत है? MSP का इन विधेयकों से कोई संबंध नहीं है। ये विधेयक मंडियों से बाहर व्यापार के लिए हैं।"
बार-बार कह रही सरकार- MSP को नहीं किया जाएगा खत्म
बता दें कि किसानों और विपक्ष के विरोध के बीच मोदी सरकार कई बार साफ कर चुकी है कि उसके कृषि विधेयकों का MSP से कोई लेना-देना नहीं है और MSP की व्यवस्था पहले की ही तरह जारी रहेगी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन विधेयकों को ऐतिहासिक बताते हुए ये आश्वासन दे चुके हैं। वहीं विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री अपने इस आश्वासन को लिखित रूप देते हुए कानून बना दें।