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    किसान आंदोलन: बैठक से पहले किसानों ने दी चेतावनी, कहा- सरकार के पास है आखिरी मौका

    किसान आंदोलन: बैठक से पहले किसानों ने दी चेतावनी, कहा- सरकार के पास है आखिरी मौका

    लेखन भारत शर्मा
    Dec 02, 2020
    08:38 pm

    क्या है खबर?

    नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों की गुरुवार को सरकार के साथ फिर से वार्ता होगी। इससे पहले किसानों ने सरकार को बड़ी चेतावनी दी है।

    किसान यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार के पास कृषि कानूनों को निरस्त करने का आखिरी मौका है। इसके बाद आंदोलन पूरे देश में उग्र रूप धारण कर लेगा।

    उन्होंने कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की है।

    बयान

    महाराष्ट्र में हर जिले में गुरुवार को जलाए जाएंगे पुतले- शिंदे

    NDTV के अनुसार, लोक संघर्ष मोर्चा की प्रतिभा शिंदे ने कहा, "हम कृषि कानूनों के विरोध में गुरुवार को महाराष्ट्र के सभी जिलों में सरकार और उनके चेहेते उद्योगपतियों के पुतले जाएंगे और 5 दिसंबर को गुजरात में विरोध किया जाएगा।"

    उन्होंने आगे कहा, "कल सरकार के पास कानूनों को निरस्त करने का निर्णय लेने के लिए अंतिम मौका है। इसके बाद यह आंदोलन बहुत बड़ा हो जाएगा और देश में सरकार के गिरने का कारण बनेगा।"

    नसीहत

    किसानों को बांटने का प्रयास नहीं करे सरकार- डॉ दर्शन पाल

    क्रांति किसान यूनियन के अध्यक्ष डॉ दर्शन पाल ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के साथ बैठक करने के बाद कहा कि सरकार ने यह दिखाने की कोशिश की कि यह केवल पंजाब में किसानों का आंदोलन है। सरकार ने किसानों को विभाजित करने का प्रयास किया है।

    उन्होंने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा। केंद्र को नए कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद के विशेष सत्र को बुलाना चाहिए।

    चेतावनी

    कानून निरस्त नहीं करने पर अन्य मार्गों को भी करेंगे अवरुद्ध- डॉ दर्शन पाल

    डॉ दर्शन पाल ने कहा कि सरकार यदि गुरुवार को कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करती है तो दिल्ली को जाने वाले अन्य रास्तों को भी अवरुद्ध कर दिया जाएगा।

    उन्होंने कहा कि बातचीत के लिए पंजाब के साथ अन्य प्रदेशों के किसान प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाना चाहिए। किसान आगामी 5 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे और मोदी सरकार सहित कॉरपोरेट घरानों के पुतले जलाएंगे। दो दिन बाद पंजाब के खिलाफ भी अपने पदक वापस करेंगे।

    अपील

    कृषि मंत्री ने किसानों से की वार्ता जारी रखने की अपील

    देशव्यापी आंदोलन और दिल्ली के अन्य मार्गों को अवरुद्ध करने की चेतावनी के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानो से वार्ता जारी रखने की अपील की है।

    उन्होंने कहा, "आइए देखें कि मुद्दों को किस हद तक हल किया जा सकता है। कानून उनके हित में हैं और सुधार लंबे इंतजार के बाद किए गए हैं, लेकिन यदि किसानों को इससे कोई आपत्ति है तो हम उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार हैं।"

    जानकारी

    पुलिस ने खोला दिल्ली-नोएडा बॉर्डर

    पुलिस ने किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए सुबह दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को बंद कर दिया था। इससे लोगों को अवागमन में परेशानी हुई। पुलिस ने दोपहर में बॉर्डर को फिर से खोल दिया और गहन जांच के बाद ही वाहनों को दिल्ली में प्रवेश दिया।

    समर्थन

    आंदोलन में शामिल होने के लिए ग्वालियर से दिल्ली रवाना हुए किसान

    इधर, किसानों के आंदोलन में हर दिन के साथ किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। बुधवार को किसानों का एक दल आंदोलन में शामिल होने के लिए ग्वालियर से दिल्ली के लिए रवाना हो गया।

    अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह ने बातचीत के लिए किसानों को बुराड़ी बुलाया था, लेकिन मंगलवार को उत्ताराखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया।

    बेनतीजा

    किसानों और सरकार के बीच मंगलवार को बनतीजा रही वार्ता

    दूसरी तरफ मंगलवार को कृषि कानूनों सहित अन्य मांगों को लेकर किसानों के 35 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल और सरकार के बीच हुई वार्ता बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। इससे सरकार और किसानों के बीच अभी भी गतिरोध बना हुआ है।

    सरकार ने किसानों को मामले को सुलझाने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसान नेताओं ने उसे ठुकरा दिया। अब गुरुवार को अगले दौर की वार्ता होगी।

    मुद्दा

    क्या है कृषि कानूनों का पूरा मामला?

    मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।

    पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।

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