प्रदर्शन में शामिल पंजाब के किसान संगठन को विदेशी चंदा प्राप्त करने को लेकर चेतावनी
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों में अहम भूमिका निभा रहे पंजाब के एक बड़े किसान संगठन को विदेशी चंदा प्राप्त करने के लेकर चेतावनी मिली है। भारतीय किसान यूनियन उगराहां को बैंक अधिकारियों ने चेतावनी देते हुए जरूरी मंजूरी लेने को कहा है। संगठन के महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि मोगा जिले स्थित पंजाब और सिंध बैंक के अधिकारियों ने उन्हें शाखा में बुलाकर विदेशी मुद्रा विभाग की तरफ से आए ईमेल के बारे में बताया है।
संगठन को विदेशों से मिला है 8-9 लाख रुपये चंदा
सिंह ने कहा कि बैंक अधिकारियों ने उन्हें संगठन को विदेशों से मिले 8-9 लाख रुपये के चंदे के बारे में बताया है। सुखदेव सिंह ने आगे बताया कि सामाजिक कार्यों के लिए विदेशों में बसे पंजाबी संगठन को चंदा भेजते रहते हैं। उन्होंने कहा कि बैंक की तरफ से लिखित में नोटिस मिलने के बाद संगठन इस पर विचार कर अपना जवाब भेजेगा। गौरतलब है कि सरकार ने पिछले समय में विदेशी चंदे से जुड़े नियम सख्त किए हैं।
संगठन के प्रमुख ने उठाए सवाल
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, बैंक की इस चेतावनी पर संगठन के प्रमुख जोगिंदर सिंह उगराहां ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि विदेशों में रह रहे NRI सगंठन को पैसा भेज रहे हैं। वो सिर्फ मदद कर रहे हैं। इससे क्या आपत्ति है। यह उनका भी आंदोलन है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसान संगठनों पर टैक्स कानूनों का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन को कमजोर करना चाहती है।
आढ़तियों के घर हुई थी छापेमारी
इसी सप्ताह पंजाब के कई बड़े आढ़तियों के घर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। हरियाणा और पंजाब के कई आढ़तिये और कमीशन एजेंट कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं। अमरिंदर सिंह ने विभाग की इस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि आढ़तियों को नोटिस का जवाब देने का भी मौका नहीं दिया गया और उनके घर पर छापेमारी कर ली गई। उन्होंने इस कार्रवाई की राजनीतिक बदले की भावना बताया था।
क्या है किसानों के आंदोलन का मुद्दा?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
अब तक असफल रही है किसानों और सरकार के बीच की बातचीत
इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीने से सड़कों पर हैं और 26 नवंबर से दिल्ली के आसपास डटे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें समाधान का कोई रास्ता नहीं निकला है। सरकार ने किसानों को कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, हालांकि किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और वे कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।