पंजाब: कई ग्रामीण पंचायतों का फरमान, किसान आंदोलन में शामिल नहीं होने पर लगेगा जुर्माना
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों की रैली में हिंसा और उत्पात के बाद आंदोलन में घटी किसानों की भागीदारी को फिर से बढ़ाने के लिए पंजाब के किसानों ने नया तरीका निकाला है। यहां के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में संख्या बल बढ़ाने के लिए पंचायतों से सहयोग मांगा है। इसके बाद पंचायतों ने आंदोलन में शामिल नहीं होने वाले परिवार पर जुर्माना लगाने और सामाजिक बहिष्कार का फरमान सुनाया है।
हिंसा के बाद आंदोलन में घट गई किसानों की संख्या
बता दें कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में हिंसा होने के बाद सिंघु, टिकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या में कमी आ गई थी। इतना ही नहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन, भारतीय किसान यूनियन (भानू), भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) और किसान महापंचायत ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद इन संगठनों के किसान घरों को लौट गए थे और आंदोलन में किसानों की संख्या में भारी कमी आ गई थी।
राकेश टिकैत की मार्मिक अपील के बाद लौटने लगे किसान
आंदोलन में घटती किसानों की संख्या के बाद गुरुवार को किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया था। उन्होंने रोते हुए किसानों से आंदोलन को मजबूत बनाने की अपील की थी। उसके बाद से किसानों की संख्या बढ़ने लग गई।
बठिंडा और मानसा में पंचायतों ने सुनाया फरमान
इंडिया टुडे के अनुसार किसानों के सहयोग मांगने के बाद बठिंडा और मानसा जिले की पंचायतों ने अपने-अपने गांव के ग्रामीणों को आंदोलन में भागीदारी करने का कहा है। इसके अलावा आंदोलन में शामिल नहीं होने वाले परिवार पर जुर्माना लगाने तथा उसका सामाजिक बहिष्कार करने की भी चेतावनी दी है। इन पंचायतों ने प्रत्येक परिवार से एक जने की आंदोलन में शामिल होने का नियम बनाया है। पंच घर-घर जाकर लोगों की पुष्टि कर रहे हैं।
कोटभक्तू पंचायत ने दी सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी
कोटभक्तू पंचायत ने क्षेत्र में एक सप्ताह में परिवार से एक सदस्य को आंदोलन में भेजने से विफल रहने वाले परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला भी सुना दिया है। इसमें ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आंदोलन में भेजने को कहा गया है।
पंयायत क्षेत्र के सभी परिवारों ने स्वीकार किया आदेश
कोटभक्तू पंचायत प्रमुख सुखविंदर कौर ने कहा, "सभी परिवारों ने सर्वसम्मति से पंचायत के आदेश को स्वीकार कर लिया है। ऐसे में अब क्षेत्र के प्रत्येक परिवार से कम से कम एक सदस्यों को दिल्ली में आंदोलन में शामिल होने के लिए भेजा जाएगा।" उन्होंने कहा कि जो लोग आंदोलन में शामिल होने नहीं जाएंगे उनसे प्रतिदिन के हिसाब से 300 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। जुर्माने से बचने के लिए लोग एक सदस्य को आंदोलन में भेज रहे हैं।
इन पंचायतों में आम लोगों को भी आंदोलन में भेजा जा रहा
भटिंडा और मानसा क्षेत्र की कुछ पंचायतों ने गैर किसानों को भी आंदोलन में शामिल होने के आदेश दिया है। गांवों में गुरुद्वारों पर बैठक आयोजित कर कहा जा रहा है कि सरकारी एजेंसियां किसानों का विरोध कर रही है। मानसा जिले में एक दर्जन से अधिक गांवों में आंदोलन में शामिल होने नहीं गए परिवारों पर 1,500 रुपये जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा पंचायतें लोगों के जाने के लिए ट्रैक्टर सहित अन्य खर्चों का इंतजाम कर रही है।
दुर्घटना होने पर मुआवजा देने की घोषणा
कई पंचायतों ने आंदोलन में जाने के लिए ट्रैक्टर देने वाले लोगों को दुघर्टना होने पर मुआवजा देने की भी घोषणा की है। ऐसे में क्षेत्र के ट्रैक्टर मालिक आंदोलन में जाने के लिए लोगों को ट्रैक्टर उपलब्ध कराने के लिए आगे आ रहे हैं।
हरियाणा की खाप पंचायतों ने किया किसानों की सुरक्षा का निर्णय
इधर, हरियाणा की खाप पंचायतों ने दिल्ली में आंदोलन स्थलों पर किसानों को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्णय किया है। इसके लिए खाप पंचायतों के दो बड़ी टुकड़ी पहले ही सिंघु और टिकरी बॉर्डर पहुंच चुकी है। इसके अलावा 10,000 युवाओं को स्टैंडबाय में रखा गया है। खाप नेता और निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने कहा है कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में कोई भी उन पर हमला नहीं कर सकता है।