किसान आंदोलन में पड़ी फूट, दो संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन खत्म करने का ऐलान
क्या है खबर?
कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर पिछले दो महीने से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन में बुधवार को फूट पड़ गई।
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में निकाली गई ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद दो किसान संगठनों ने खुद को आंदोलन से अलग करने का निर्णय किया है।
इनमें राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानू) शामिल है। ऐसे में आंदोलन कमजोर पड़ता दिख रहा है।
ऐलान
अलग दिशा वाले लोगों के साथ नहीं कर सकते हैं आंदोलन- वीएम सिंह
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह ने कहा, "हम खुद को आंदोलन से अलग कर रहे हैं और यह उनका खुद का और संगठन के सभी पदाधिकारियों का निर्णय है। इस निर्णय में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) की कोई भागीदारी नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम अलग दिशा में चलने वाले लोगों के साथ आंदोलन नहीं कर सकते हैं। यह आंदोलन इस स्वरूप में हमारे साथ नहीं चल सकता है।"
आरोप
सिंह ने राकेश टिकैत पर लगाए गंभीर आरोप
आंदोलन से अलग होने के ऐलान करने के साथ वीएम सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पर गंभीर आरोप भी लगाए।
उन्होंने कहा, "दिल्ली में जो हंगामा और हिंसा हुई, उसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को लेनी चाहिए। मैं और मेरा संगठन इस आंदोलन से अलग हो रहे हैं। मेरा उस विरोध से कोई लेना-देना नहीं है, जिसका नेतृत्व करने वालों को राकेश टिकैत रिप्रजेंट कर रहे हैं।"
बयान
राकेश टिकैत ने एक बार भी नहीं उठाई गन्ना किसानों की बात- सिंह
सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत ने एक बार भी गन्ना किसानों की बात नहीं उठाई और ना ही धान खरीफ की कोई बात नहीं की है।
उन्होंने कहा, " मैं कहना चाहता हूं कि मैंने आंदोलन खड़ा करने का काम किया है। मैंने किसानों को दिल्ली लाने का काम किया। हम यहां इसलिए नहीं आए थे कि गणतंत्र दिवस पर खुद को और देश को बदनाम करें। हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उसे भंग करना गलत है।"
घोषणा
मैं अपने 58 दिनों के विरोध का खत्म कर रहा हूं- भानुप्रताप
इधर, चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन करने वाले भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने कहा, "मंगलवार को दिल्ली में जो कुछ भी हुआ, उससे मैं बहुत आहत हूं और 58 दिनों का अपना विरोध खत्म कर रहा हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "किसान हल चलाता है, कुछ लोगों ने उन्हें पागल बना दिया। वो किसी ऐसे नेता के चक्कर में न पड़ें, जो अपना नाम बनाने के लिए देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।"
बयान
वीएम सिंह को पहले ही मोर्चे ने खुद से अलग रखा है- संयुक्त मार्चा
संयुक्त किसान मोर्चे के एक प्रमुख नेता ने न्यूज 18 से कहा, "वीएम सिंह क्या इस आंदोलन से अलग होंगे, उनको तो पहले ही मोर्चे ने खुद से अलग रखा हुआ है। संयुक्त किसान मोर्चे के तहत आंदोलन करने वाले संगठन शांतिपूर्वक आंदोलन करते रहेंगे।"
प्रतिक्रिया
कमजोर आदमी बीच में छोड़ता है आंदोलन- टिकैत
वीएम सिंह द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद BKU के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा, "मैं पहले ही किसानों की सारी जिम्मेवारी ले चुका हूं। जिसको गाजीपुर छोड़ना है वह छोड़ दे। दो महीने तक यहां क्यों डटे थे? जब पुलिस का डंडा पड़ा तो भाग गए।"
उन्होंने आगे कहा, "जब नेतागिरी करनी थी तो करते रहे, लेकिन FIR दर्ज हो गई तो आंदोलन छोड़कर भाग गए। आंदोलन को कमजोर आदमी बीच में छोड़ता है।"
पृष्ठभूमि
ट्रैक्टर रैली में किसानों के तय रास्ते से हटने के बाद हुई थी हिंसा
किसानों की ओर से गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में बुलाई ट्रैक्टर परेड में एक धड़ा शुरूआत में ही तय रास्ते से हट गया और ITO होते हुए लाल किले की तरफ निकल गया।
इस दौरान उनकी ITO और लाल किला सहित मुकरबा चौक, गाजीपुर, ITO, सीमापुरी, नांगलोई, टिकरी बॉर्डर पर पुलिस के साथ जबरदस्त भिडंत हुई।
इसमें कम से कम 300 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस को मजबूरन लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग करना पड़ा।
हालात
प्रदर्शनकारियों ने की पुलिसकर्मियों को रौंदने की कोशिश- पुलिस
हिंसा पर जारी अपने बयान में पुलिस ने कहा है, "दिल्ली पुलिस के मनाने के बावजूद घोड़े पर सवार और तलवार, कृपाण और फरसा जैसे हथियारों से लैस निहंगों के नेतृत्व में किसानों ने पुलिस पर हमला किया और कई बैरिकेडों को तोड़ दिया। इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक्टरों से पुलिसकर्मियों को रौंदने का प्रयास भी किया।"
पुलिस ने बताया कि लाल किले पर किसानों के हमले से बचने के पुलिसकर्मियों को दीवार तक कूदनी पड़ी।
FIR
राकेश टिकैत सहित छह किसान नेताओं के खिलाफ हुई FIR
ट्रैक्टर रैली में हुए उपद्रव पर दिल्ली पुलिस बुधवार सुबह से ही एक्शन मोड में है। पुलिस ने हिंसा, तोड़फोड़ और नियम तोड़ने की घटनाओं पर 22 FIR दर्ज की हैं।
इनमें जानलेवा हमले, डकैती, सरकारी काम में रुकावट डालने और नियम तोड़ने जैसी धाराएं लगाई गई हैं। एक FIR में छह किसान नेताओं को भी आरोपी बनाया गया है।
इनमें राकेश टिकैत, दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह शामिल है।