सरकार की प्रस्ताव स्वीकार करने की अपील, किसानों ने दी रेलवे ट्रैक जाम करने की चेतावनी
क्या है खबर?
नए कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान और सरकार के बीच गतिरोध बढ़ता जा रहा है।
किसानों ने बुधवार को सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया और देशभर में आंदोलन की चेतावनी दी है।
इसी बीच गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से प्रस्ताव स्वीकार करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि सरकार किसानों की सभी आशंकाओं को दूर करने के लिए तैयार है।
मुद्दा
क्या है किसानों के विरोध का कारण?
सितंबर में लागू किए गए कृषि कानूनों को लेकर पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया। उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था।
किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा। इसके चलते कॉरपोरेट जगह के लोग किसानों का शोषण करेंगे।
प्रस्ताव
किसानों ने बुधवार को खारिज कर दिया था सरकार का प्रस्ताव
सरकार ने बुधवार को किसानों को 20 पन्नों का प्रस्ताव भेजा था। इसमें MSP व्यवस्था जारी रखने, APMC एक्ट में बदलाव करने तथा कृषि भूमि की कुर्की के संबंध विचार करने की बात कही थी।
इसके बाद शाम को हुई किसान नेताओं की बैठक में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था। किसानों ने कहा था कि कानूनों को वापस लेने तक आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों ने 14 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया था।
मनुहार
सरकार खुले दिमाग से चर्चा के लिए तैयार- तोमर
किसानों की चेतावनी को देखते हुए कृषि मंत्री ने कहा, "सरकार किसानों के साथ खुले दिमाग से चर्चा के लिए तैयार है। हम किसानों से उन प्रावधानों पर बात करने के लिए तैयार हैं, जिन पर उन्हें आपत्ति है। ऐसे में किसानों को सरकार का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए उसके माध्यम से वार्ता के लिए आना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "मैं किसान यूनियनों से चर्चा के लिए एक तारीख निर्धारित करने का आग्रह करता हूं। हम सुनने के लिए तैयार हैं।"
बयान
MSP का इन कानूनों से कोई लेना देना नहीं- तोमर
कृषि मंत्री तोमर ने कहा, "न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का इन कानूनों से कोई लेना-देना नहीं है। ये कानून MSP को जरा भी प्रभावित नहीं करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी आश्वासन दिया है कि इन कानूनों के साथ MSP व्यवस्था आगे भी जारी रहेगी।"
दलील
किसानों को मंडी की बेड़ियों से आजाद कराना चाहती है सरकार- तोमर
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि सरकार किसानों को मंडी की बेड़ियों से आजाद कराना चाहती है, ताकि किसान मंडी से बाहर कहीं भी किसी भी कीमत पर अपनी फसल बेच सके।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन किसान कानूनों को निरस्त कराना चाहते हैं। वह साफ करना चाहते हैं कि सरकार उन प्रावधानों पर चर्चा करना चाहती है, जिन पर किसानों को आपत्ति है। ये कानून APMC या MSP को प्रभावित नहीं करेंगे।
बयान
कृषि कानून किसानों को नहीं करते हैं मजबूर- गोयल
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "कुछ चिंताएं थी कि किसानों को निजी बाजारों में फसल बेचने को मजबूर किया जाएगा। यह पूरी तरह से गलत है। कानूनों में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है। इसी तरह ये कानून APMC को भी प्रभावित नहीं करेंगे।"
सफाई
कृषि मंत्री ने जमीनों के मुद्दे पर दी सफाई
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि अनुमान लगाया जा रहा है कि किसानों की जमीनें उद्योगपतियों को मिलेंगी। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक में लंबे समय से कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग की जा रही है, लेकिन अभी तक ऐसा मामला सामने नहीं आया।
उन्होंने कहा कि कानून में यह प्रावधान शामिल किया है कि इस समझौते के तहत कानून केवल किसानों की उपज और प्रोसेसर की बीच होंगे। जमीन पर लीज या समझौते का कोई भी प्रावधान नहीं है।
जवाब
किसानों ने सरकार को दी रेलवे ट्रैक जाम करने की चेतावनी
कृषि मंत्री की अपील की बाद किसानों ने भी सरकार को चेतावनी दे दी है।
किसान नेता बूटा सिंह ने कहा, "हमने 10 तारीख का अल्टीमेटम दिया हुआ था कि अगर प्रधानमंत्री ने हमारी बातों को नहीं सुना और कानूनों को रद्द नहीं किया तो सारे धरने रेलवे ट्रैक पर आ जाएंगे।"
उन्होंने कहा, "आज की बैठक में फैसला हुआ कि अब रेलवे ट्रैक पर पूरे भारत के लोग जाएंगे। संयुक्त किसान मंच इसकी तारीख की जल्द घोषणा करेगा।"
फैसला
सरकार को एकजुट होकर किसानों के पक्ष में लेना चाहिए फैसला- बूटा सिंह
बूटा सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री कुछ और, गृहमंत्री कुछ और, कृषि मंत्री कुछ और बोल रहे हैं। विनती है कि हम एकजुट हैं और हमारी चुनी हुई सरकार को भी एकजुट होकर किसानों के पक्ष में फैसला लेना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "पंजाब में टोल प्लाजा, मॉल, रिलायंस के पंप, भाजपा नेताओं के दफ्तर और घरों के आगे धरना अभी भी जारी है। इसके अलावा 14 दिसंबर को पंजाब के सभी जिला कलक्टर कार्यालयों के बाहर धरने दिए जाएंगे।"