कृषि कानून: सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत आज
क्या है खबर?
तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध का हल निकालने के दोनों पक्षों की आज बैठक होगी। सरकार और किसानों के बीच यह आठवें दौर की औपचारिक बातचीत होगी।
बैठक से पहले गुरुवार को प्रदर्शनकारी किसानों से शक्ति प्रदर्शन करते हुए दिल्ली के पास हजारों ट्रैक्टरों के साथ मार्च निकाला था।
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो 26 जनवरी को दिल्ली में भी ऐसा ही मार्च होगा।
गतिरोध
अब तक नहीं बनी है बात
आंदोलन का आज 44वां दिन है। किसानों और सरकार के बीच आखिरी बार 4 जनवरी को बातचीत हुई थी।
किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार का कहना है कि वह कानूनों में संशोधन को तैयार है, लेकिन ये रद्द नहीं होंगे।
नवंबर से प्रदर्शन कर रहे किसानों को सरकार ने कानूनों में संशोधन का लिखित प्रस्ताव भेजा था, लेकिन किसान संगठनों ने उसे ठुकरा दिया।
सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला लंबित है।
समाधान की कोशिश
बैठक से पहले धार्मिक नेता से मिले कृषि मंत्री
गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नानकसर गुरुद्वारा के प्रमुख बाबा लखा सिंह से मुलाकात की।
प्रदर्शनस्थल पर लंगर चला रहे लखा सिंह ने कहा कि लोग जान गंवा रहे हैं। बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सड़कों पर बैठे हैं। यह असहयनीय है।
उन्होंने किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता की पेशकश करते हुए कहा कि कृषि मंत्री के साथ उनकी बैठक अच्छी रही थी। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि बैठक में क्या बातें हुई थीं।
प्रतिक्रिया
कृषि मंत्री और किसानो ने इस मुलाकात पर क्या प्रतिक्रिया दी?
दूसरी तरफ तोमर ने कहा कि उन्होंने किसी धार्मिक नेता को कोई प्रस्ताव नहीं दिया है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वो मामले में मध्यस्थता के लिए पंजाब के और धार्मिक नेताओं से मुलाकात करेंगे तो उन्होंने कहा कि वो किसान या नेता, हर किसी से मिलेंगे।
वहीं किसान संगठनों का कहना है कि उनकी बाबा लखा सिंह से कोई बातचीत नहीं हुई है और वो प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधि बनकर कृषि मंत्री से नहीं मिले थे।
जानकारी
बैठक से पहले अमित शाह से मिल सकते हैं तोमर
पिछली बार की तरह इस बैठक में भी सरकार की तरफ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, नरेंद्र सिंह तोमर और सोम प्रकाश हिस्सा लेंगे। ऐसी भी अटकलें हैं कि बैठक से पहले तोमर गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं।
किसान आंदोलन
कानून वापस लेने की मांग पर डटे किसान
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, "हम सरकार को बैठक से पहले याद दिला रहे हैं कि इन तीनों कानूनों को रद्द किया जाना चाहिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की गारंटी का कानून बनना चाहिए।"
वहीं ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी के नेता अविक साह ने कहा, "अगर मांगें नहीं मानी गई तो यह आंदोलन जारी रहेगा और किसान 26 जनवरी को दिल्ली में गणतंत्र दिवस मनाएंगे।"
जानकारी
11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
कृषि कानूनों के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 11 जनवरी को सुनवाई होगी। कोर्ट इससे पहले कई मौकों पर किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध पर चिंता व्यक्त कर चुका है।
कृषि कानून
किसानों के विरोध की वजह क्या है?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।