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कृषि कानून: अभी तक पंजाब में प्रदर्शन कर रहे किसान भी दिल्ली रवाना

कृषि कानून: अभी तक पंजाब में प्रदर्शन कर रहे किसान भी दिल्ली रवाना

Dec 11, 2020
01:34 pm

क्या है खबर?

अभी तक दिल्ली नहीं पहुंचे पंजाब के कई किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने राजधानी की तरफ कूच शुरू कर दिया है। दरअसल, किसान संगठनों ने 26 नवंबर को 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया था, जिसके बाद हजारों की संख्या में किसान पंजाब से आकर दिल्ली की सिंघु बॉर्डर पर डट गए हैं। वहीं कुछ संगठन ऐसे थे, जिन्होंने पंजाब में अलग-अलग जगहों पर अपना प्रदर्शन जारी रखा था। अब ये किसान भी दिल्ली की तरफ रवाना हो गए हैं।

प्रदर्शन

12 दिसंबर को हाइवे बाधित करेंगे किसान

पंजाब से किसानों का यह कूच 12 दिसंबर से पहले शुरू हुआ है, जिस दिन दिल्ली में डटे किसान संगठनों ने हाइवे बाधित करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि सरकार का साथ जारी गतिरोध का समाधान न निकलने पर किसानों ने 12 दिसंबर को हाइवे बाधित करने, 14 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन करने और फिर एक दिन रेलवे ट्रैक बाधित करने का ऐलान किया है। इसे देखते हुए भारी संख्या में किसान दिल्ली जमा हो रहे हैं

जानकारी

ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर दिल्ली आ रहे किसान

अमृतसर समेत कई जिलों से किसान पहले की तरह ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर दिल्ली की तरफ कूच रहे हैं। हालांकि, पुलिस और प्रशासन सार्वजनिक परिवहन के वाहनों पर भी नजर रख रहा है। बताया जा रहा है कि किसान बसों आदि में भी दिल्ली जा रहे हैं।

बयान

"लगभग 700 ट्रॉलियों में दिल्ली आ रहे किसान"

किसानों के इस कूच के बारे में जानकारी देते हुए किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता एसएस पंढेर ने कहा कि लगभग 700 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दिल्ली की कुंडली बॉर्डर की तरफ आ रही हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, अभी तक इस संगठन के कार्यकर्ता अमृतसर में प्रदर्शन कर रहे थे। शुक्रवार से इन्होंने दिल्ली की तरफ आना शुरू किया है। इनके अलावा हजारों की संख्या में किसान पहले से ही टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर आदि जगहों पर डटे हुए हैं।

ट्विटर पोस्ट

यहां देखिये दिल्ली आ रहे किसानों की झलक

किसान आंदोलन

दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन का आज 16वां दिन

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के प्रदर्शन का आज 16वां दिन है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली बॉर्डर समेत कई स्थानों पर डटे हुए हैं। सरकार ने गुरुवार को किसानों से उसके भेजे प्रस्ताव पर फिर से विचार करने की अपील की, लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें संशोधन मंजूर नहीं हैं और सरकार को कानून वापस लेने होंगे।

कृषि कानून

कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव ठुकरा चुके हैं किसान

सरकार ने बुधवार को प्रदर्शनकारी किसानों को कानूनों में संशोधन करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर लिखित गारंटी देने का आश्वासन दिया था। किसानों ने प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ नया नहीं है और वो अपनी मांगों पर कायम हैं। इसके साथ ही किसानों ने आंदोलन को तेज करने का ऐलान करते हुए हुए 12 दिसंबर को हाइवे बाधित करने और 14 दिसबंर को देशभर में प्रदर्शन करने की बात कही।

चेतावनी

रेलवे ट्रैक बाधित करेंगे किसान

गुरुवार को सरकार ने किसानों पर उसके प्रस्ताव पर फिर से विचार करने की अपील की। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार खुले दिमाग से किसानों के साथ बातचीत को तैयार है। वहीं किसानों ने कहा कि अगर सरकार उन्हें बातचीत के लिए बुलाती है तो वो इस पर विचार कर सकते हैं। दूसरी तरफ किसानों ने मांग न मानने की सूरत में रेलवे ट्रैकों को बाधित करने की भी चेतावनी दी थी। इसकी तारीख जल्द ही बताई जाएगी।

विरोध की वजह

ये है किसानों के प्रदर्शन की वजह

मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।