किसान आंदोलन: एक बार फिर बेनतीजा रही वार्ता, सरकार ने कही कोर्ट जाने की बात
कृषि कानूनों को निरस्त कराने को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई आठवें दौर की वार्ता में भी कोई नजीता नहीं निकला है। वार्ता के दौरान किसानों ने कानूनों को रद्द करने की मांग की तो सरकार ने साफ इनकार कर दिया। इसके बाद सरकार और किसानों के बीच कोई बात नहीं बन पाई। मामले में अब दोनों पक्षों के बीच 15 जनवरी को फिर से वार्ता होगी।
क्या है किसानों के विरोध की वजह?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
कानूनों को रद्द कराने पर अड़े हैं किसान- तोमर
बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "आज किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला। सरकार की तरफ से कहा गया कि कानूनों को वापस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, परन्तु कोई विकल्प नहीं मिला।" उन्होंने आगे कहा, "आंदोलन करने वालों का मानना है कि कानूनों को वापस लिया जाए, लेकिन देश में बहुत से लोग इन कानूनों के पक्ष में हैं।"
"15 जनवरी को फिर होगी किसानों के साथ बैठक"
कृषि मंत्री तोमर ने कहा, "किसान यूनियन और सरकार दोनों ने 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है। मुझे आशा है कि उसमें कोई समाधान निकलेगा।" बैठक में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल और सोम प्रकाश भी मौजूद थे।
सरकार ने किसानों से कही कोर्ट जाने की बात
बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव ने कहा, "सरकार ने हमें कहा कोर्ट में चलो। हम ये नहीं कह रहे कि ये नए कृषि कानून गैर-कानूनी है। हम इसके खिलाफ हैं। इन्हें सरकार वापिस ले। हम कोर्ट में नहीं जाएंगे। हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।" ऑल इंडिया किसान महासभा के महासचिव हनन मुल्लाह ने कहा, "हम कानूनों को वापस लिए जाने के अलावा और कुछ नहीं चाहते हैं। कानून निरस्त होने तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।"
सरकार ने नहीं मानी हमारी बात- टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कानून रद्द होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, "तारीख पर तारीख चल रही है। बैठक में सभी किसान नेताओं ने एक आवाज में कानूनों को निरस्त करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इनकार कर दिया।" उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कानून वापस हो, सरकार चाहती है संशोधन हो। सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने भी सरकार की नहीं मानी।"
लगातार असफल हो रही हैं बैठकें
किसानों और सरकार के बीच अब तक आठ दौर की वार्ता हो चुकी है। इनमें से सात में कोई हल नहीं निकला है। हालांकि, 30 दिसंबर को हुई छठे दौर की वार्ता में सरकार और किसानों के बीच पर्यावरण से संबंधित कानून और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट पर सहमति बन गई थी। इसके बाद किसान कानूनों को रद्द करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने पर अड़े हैं। ऐसे में वार्ता के दौरान कोई हल नहीं निकल पा रहा है।
26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालेंगे किसान
बता दें कि किसानों ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड का आह्वान कर रखा है। इसमें देशभर के किसानों के शामिल होने की उम्मीद है। इससे पहले गुरुवार को भी किसानों ने दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में ट्रैक्टर रैली निकाली थी।