सरकार का कृषि कानूनों पर अस्थायी रोक लगाने का प्रस्ताव, आज विचार करेंगे किसान संगठन
तीन कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध के समाधान की उम्मीद नजर आने लगी है। दरअसल, बुधवार को किसानों और केंद्र सरकार के बीच इसे लेकर 10वें दौर की बैठक हुई थी। इसमें केंद्र सरकार ने किसानों को 12-18 महीनों तक तीनों कानूनों के क्रियान्वन पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है। किसानों ने केंद्र के इस प्रस्ताव पर चर्चा कर 22 जनवरी को होने वाली बैठक में जवाब देने की बात कही है।
बैठक में क्या बात हुई?
बैठक में शामिल जम्हूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि 10वें दौर में महत्वपूर्ण बातचीत हुई। केंद्रीय मंत्रियों ने 18-24 महीनों तक कानूनों पर रोक का प्रस्ताव दिया है। कृषि राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने कहा कि सरकार दो साल तक नए कानून लागू नहीं करेगी, लेकिन नरेंद्र तोमर और पीयूष गोयल ने कहा कि एक-डेढ़ साल तक कानून लागू नहीं होंगे। संधू ने कहा कि इस संबंध में सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दायर करेगी।
"MSP के कानून के लिए समिति का प्रस्ताव"
संधू ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की गारंटी के कानून पर सरकार ने समिति बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें किसान संगठनों के लोग भी शामिल होंगे। इस प्रस्ताव पर किसान संगठन चर्चा करेंगे।
किसानों की कानून रद्द करने की मांग बरकरार
बैठक में शामिल महिला किसान अधिकार मंच की नेत्री कविता कुरुगांती ने कहा, "किसान संगठनों ने सरकार को बता दिया है कि वो चाहते हैं कि कानून वापस हो, लेकिन हम सरकार के प्रस्ताव पर गुरुवार को चर्चा करेंगे।" कुरुगांती ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर मुद्दे का समाधान ढूंढने के समिति बनाने का प्रस्ताव दिया है।
22 जनवरी की बैठक में समाधान निकलने की उम्मीद- तोमर
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "सरकार एक-डेढ़ साल तक इन कानूनों के अमल पर रोक लगाने को तैयार है। इस दौरान सरकार और किसानों के प्रतिनिधि मिलकर इस मुद्दे का समाधान ढूंढ लेंगे। जो भी समाधान होगा, उसके साथ आगे बढ़ा जाएगा।" तोमर ने कहा बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है और 22 जनवरी की बैठक में समाधान निकलने की उम्मीद है।
सरकार के प्रस्ताव पर आज विचार करेंगे किसान संगठन
किसान संयुक्त मोर्चा आज दोपहर सरकार के इस प्रस्ताव पर चर्चा करेगा। चर्चा के बाद जो भी फैसला लिया जाएगा, उसकी जानकारी 22 जनवरी को होने वाली 11वें दौर की बैठक में केंद्र सरकार को दे दी जाएगी। बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, "हम शुक्रवार को सरकार को अपना फैसला बता देंगे। हमारा स्टैंड बहुत साफ है कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाए और MSP पर कानून लाया जाए।"
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।